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33 बीएड कॉलेजों ने नहीं दिखाई रुचि, चार वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स पर फिरा पानी

स्थानीय ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त 33 बीएड कॉलेजों में इस वर्ष भी चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड पाठ्यक्रम के लिए नामांकन आमंत्रित नहीं किया गया। इसी के साथ एक बार फिर अब इंटरमीटिएड पास छात्रों में मायूसी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 01:39 AM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 05:13 AM (IST)
33 बीएड कॉलेजों ने नहीं दिखाई रुचि, चार वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स पर फिरा पानी
33 बीएड कॉलेजों ने नहीं दिखाई रुचि, चार वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स पर फिरा पानी

दरभंगा । स्थानीय ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त 33 बीएड कॉलेजों में इस वर्ष भी चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड पाठ्यक्रम के लिए नामांकन आमंत्रित नहीं किया गया। इसी के साथ एक बार फिर अब इंटरमीटिएड पास छात्रों में मायूसी है। 12 वीं पास हजारों छात्रों का इंटीग्रेटेड बीएड पाठ्यक्रम में नामांकन लेने का सपना इस बार साकार नहीं हो सका। 12वीं कक्षा के बाद सीधे चार वर्षीय बीएससी-बीएड, बीए-बीएड पाठ्यक्रम में नामांकन की चाहत रखने वाले छात्र-छात्राएं शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं। कह रहे हैं कि बीते वर्ष से ही चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड पाठ्यक्रम शुरू है। बाबा साहब आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय अंतर्गत चार कॉलेजों में बीते वर्ष से ही उक्त पाठ्यक्रम में नामांकन प्रक्रिया शुरू है। चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड कोर्स इंटर पास अभ्यर्थियों को इसके अंतर्गत बीएससी की डिग्री के साथ ही बीएड की डिग्री भी मिलती है। इंटीग्रटेड बीएड कोर्स करने से छात्रों का एक वर्ष के समय की बचत हो रही है। बता दें कि चार वर्षीय बीएड इंटीग्रेटेड कोर्स में नामांकन के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के लिए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय को नोडल विश्वविद्यालय नामित किया गया है। ------------------ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय अंतर्गत संचालित मान्यता प्राप्त बीएड कॉलेज

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लनामिविवि के अधीन दरभंगा में 11, समस्तीपुर में 11, मधुबनी में 7 और बेगूसराय में चार बीएड कॉलेज हैं। लेकिन, इन सभी बीएड कॉलेजों में चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड पाठ्यक्रम की मान्यता नहीं है। विश्वविद्यालय सूत्रों की माने तो इन कॉलेजों ने उक्त पाठ्यक्रम को कॉलेज में शामिल करने की दिशा में रूचि नहीं दिखाई। जिस कारण मिथिला क्षेत्र के हजारों छात्रों को मायूसी झेलनी पड़ी है। -------------- बीएससी-बीएड और बीए-बीएड से शिक्षक बनने का सफर आसान शिक्षक बनने की चाहत रखने वाले युवाओं को 12वीं कक्षा के बाद सीधे चार वर्षीय बीएससी-बीएड, बीए-बीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश परीक्षा के बाद दाखिला मिलता है। सामान्यत: कोई विद्यार्थी पहले तीन साल तक ग्रेजुएशन करता है। इसके बाद दो साल का बीएड करता है। ऐसे में उसके पांच साल बर्बाद हो जाते हैं। इस चार वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स करने से अभ्यर्थी का एक वर्ष के समय की बचत होती है। ------------- एनसीटीई से बाबा साहब आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के चार कॉलेजों ने ली पाठ्यक्रम की मंजूरी नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन से मुजफ्फपुर के बाबा साहब आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के चार बीएड कॉलेजों ने चार वर्षीय बीएड इंटीग्रेटेड पाठ्यक्रम की मंजूरी ली है। विश्वविद्यालय अंतर्गत वसुंधरा टीचर्स ट्रेनिग कॉलेज, सिलौत, मुजफ्फरपुर, माता सीता सुंदर कॉलेज ऑफ एजुकेशन, सीतामढ़ी, शहीद प्रमोद बीएड कॉलेज, सुस्ता माधोपुर, मुजफ्फरपुर एवं बैद्यनाथ शुक्ल कॉलेज ऑफ एजुकेशन, वैशाली शामिल है। इन सभी कॉलेजों में पाठ्यक्रम के लिए सौ-सौ सीटें आवंटित है। ----------------- चार वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स के लिए इस बार 7781 अभियर्थियों ने किया आवेदन चार वर्षीय बीएड इंटीग्रेटेड प्रवेश परीक्षा 2020 को ले ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय को नोडल विश्वविद्यालय बनाया गया है। इंटीग्रेटेड परीक्षा के नोडल पदाधिकारी प्रो. अशोक कुमार मेहता ने कहा कि इस बार बिहार के विभिन्न जिलों से चार वर्षीय बीएड इंटीग्रेटेड परीक्षा को ले 7781 परीक्षार्थियों ने फार्म भरा है। बता दें कि चार सौ सीटों के लिए सात हजार से अधिक छात्रों ने प्रवेश परीक्षा फार्म भरा है। इसमें सबसे अधिक 2823 पिछड़े वर्ग के छात्रो ने प्रवेश परीक्षा फार्म भरा है। ----------------


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