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हरसिंहपुर के डॉ. सरोज अमेरिका के येल यूनिवर्सिटी में रिसर्च एसोसिएट के पद पर चयनित

दरभंगा । अलीनगर प्रखंड के हरसिंहपुर निवासी विदेश्वर पोद्दार के पुत्र डॉ.सरोज कुमार 'अमर' का चयन सर्व

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Apr 2019 01:45 AM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2019 01:45 AM (IST)
हरसिंहपुर के डॉ. सरोज अमेरिका के येल यूनिवर्सिटी में रिसर्च एसोसिएट के पद पर चयनित
हरसिंहपुर के डॉ. सरोज अमेरिका के येल यूनिवर्सिटी में रिसर्च एसोसिएट के पद पर चयनित

दरभंगा । अलीनगर प्रखंड के हरसिंहपुर निवासी विदेश्वर पोद्दार के पुत्र डॉ.सरोज कुमार 'अमर' का चयन सर्वोच्च शैक्षणिक संस्थानों में एक अमेरिका के येल यूनिवर्सिटी में पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च एसोसिएट के पद पर हुआ है। डॉ. अमर यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन विभाग के अनुसंधान कार्य में अपना योगदान दिए हैं। डॉ अमर के चयन की खबर से स्थानीय लोग काफी खुश एवं अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। सभी वर्गो के लोगों ने बधाई एवं शुभकामनाएं दी और आशा व्यक्त किया है कि एक सफल वैज्ञानिक के रूप में राष्ट्र की सेवा करेंगे। अमर की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल से शुरू हुई। जिसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से लाइफ साइंस में बीएससी की डिग्री ली। एलएनजेपी से फोरेंसिक साइंस में एमएससी किया। एमएससी चतुर्थ सत्र में ही डॉ. अमर ने उच्चतम अंकों के साथ प्रतिष्ठित यूजीसी, नेट, जेआरएफ की परीक्षा उत्तीर्ण की एवं आइआइएससी, आइआइटीएस, डीआरडीओ समेत देश के पंद्रह से अधिक विशिष्ठ वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थानों से पीएचडी के लिए स्वीकार पत्र प्राप्त किए। उन्होंने सीएसआइआर द्वारा संचालित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑ़फ टेक्नोलॉजी रिसर्च, लखनऊ को चयन किया। वहां से वर्ष 2015 में इंपेक्ट ऑ़फ यूवी रेडिएशन इन ह्यूमन हेल्थ विषय पर शोध कर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। कुछ वर्षो तक डॉ. अमर ने गलोटिया यूनिवर्सिटी नोएडा व लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी जालंधर में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर काम किया। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय विशेष तौर पर अपने माता-पिता एवं गुरुजनों को दिया है। कहते हैं कि उनको सफलता का मूलमंत्र अपने माता पिता से मिला। वे हमेशा कहा करते थे कि सच्ची लगन व पूर्ण तत्परता से इंसान किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। डॉ. अमर तीन भाई हैं। बड़े भाई मनोज कुमार मधुबनी जिला के बासोपट्टी प्रखंड में कार्यक्रम पदाधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। छोटे भाई सुबोध कुमार जेएनयू में शोधार्थी व दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रो़फेसर के रूप में कार्यरत है। सुदूर ग्रामीण परिवेश एवं सीमित संसाधनों के बीच बचपन में ही माताजी को खोने के बावजूद पिता तीनों भाइयों को विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष से सफलता प्राप्त करने की प्रेरणा देते रहे।

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