डीएमसीएच में सादे कागज पर लिखी जा रही दवा, दुकानदारों की चांदी
दरभंगा। डीएमसीएच के डॉक्टर मरीजों को बाहरी और ब्रांडेड दवाएं लिखते हैं। इसके कारण मरीजों की जेब ढ़ीली हो रही है।
दरभंगा। डीएमसीएच के डॉक्टर मरीजों को बाहरी और ब्रांडेड दवाएं लिखते हैं। इसके कारण मरीजों की जेब ढ़ीली हो रही है। वहीं परिसर के बाहर निजी दवा दुकानदार चांदी काट रहे हैं। शनिवार को तीन मरीजों के परिजनों के डॉक्टर ने सादा पुर्जा पर दवा लिख बाहर से लेने को कहा। लापरवाही देखिए कि पुर्जो पर किसी डॉक्टर का हस्ताक्षर तक नहीं है। इन पुर्जो पर सर्जरी के यूनिट इंचार्ज का नाम और मरीजों का नाम अंकित है। मामला इतना ही नही है, जो दवाएं लिखी गई गई है वह दवाएं डीएमसीएच में उपलब्ध है। सर्जरी विभाग के डॉ. वीएस प्रसाद की यूनिट में भर्ती मो. जावेद के नाम से दवा का पुर्जा निर्गत किया गया है। इस पुर्जा पर सीपसॉल, म्यूसिन और आंडेम की सूई की दवाएं अंकित है। इसी यूनिट में भर्ती गणेश प्रसाद के नाम से जारी पुर्जा पर सिपसॉल, सिनाउट, एमकालविन की इंजेक्शन लिखा हुआ है। भर्ती केदार सहनी के पुर्जे पर भी सिपसॉल और आंडेम की इंजेक्शन की दवाएं लिखी गई है। इधर, सरकारी आदेशानुसार मरीजों को सरकारी अस्पतालों की दवाएं ही लिखनी है। ट्रेड नाम की दवाएं लिखने पर प्रतिबंध है। हर-हाल में डॉक्टरों को ट्रेड नाम की दवाओं की बजाए कंपोजिशन वाली नाम की दवाएं लिखनी है। परिजनों ने बताया कि एक डॉक्टर ने यह पुर्जा थमाकर बाहर से दवा लाने को कहा है। इस आदेश के बावजूद मरीजों को बाहरी और ब्रांडेड दवाएं लिखी जा रही है। प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. रामजी ठाकुर ने बताया कि बिना हस्तक्षार के पुर्जे और ब्रांडेड कंपनी की दवाओं को लेकर इसकी छानबीन की जाएगी।