डीएमसीएच के ओपीडी में मरीजों के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं
दरभंगा । डीएमसीएच के ओपीडी दिन में भी अंधकार में रहता है। यहां प्रतिदिन करीब ढाई हजार मरीज पहुंचते ह
दरभंगा । डीएमसीएच के ओपीडी दिन में भी अंधकार में रहता है। यहां प्रतिदिन करीब ढाई हजार मरीज पहुंचते हैं। लेकिन ओपीडी में उचित रोशनी का अभाव है। इस उमस में पंखा नदारद है। कहीं पंखा लगे भी है तो बेकार है। रोशनी के अभाव में ओपीडी में लोग धक्का मुक्की करते हैं। उपरी तल्ला पर जाने के लिए सीढ़ी पर गिरते पड़ते लोग जाते हैं। 22 यूनिटों के चैंबर के सामने लंबी लंबी कतारें लगी रहती है। बैठने के लिए न कुर्सी, न ही टेबल है। खड़ा होकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं। इसमें कई मरीज इंतजार करते रहते हैं, तब तक डॉक्टर चले जाते हैं। इसके बाद मरीज बैरंग लौट जाते हैं। कहां कहां है मरीजों की समस्या मरीजों की समस्या एक नहीं अनेक है। काउंटरों पर लंबी कतारें लगी रहती है। इन पांच काउंटरों पर पंखे मात्र हिलते हैं। रोशनी नदारद है। यहां पर लगी लंबी कतार ओपीडी के बाहर तक चली जाती है, जहां मरीजों को धूप में उपचार के लिए इंतजार करना पड़ता है। ढाई हजार मरीज पांच काउंटरों के सहारे रहते हैं। दवा भंडार के काउंटरों पर महिला व पुरुष पसीने से तर बतर रहते हैं। यहां पर दो काउंटरों के सहारे मरीज रहते हैं। इस काउंटर के भीतर कर्मी की हालत अलग खराब रहती है। डॉक्टरों तक पहुंचते पहुंचते मरीज बेहोशी की हालत में आ जाते हैं। सबसे अधिक भीड़ हडडी, मेडिसीन, चर्म रोग, आंख रोग, दंत रोग, सर्जरी और ईएनटी के समक्ष रहती है। क्या कहते हैं मरीज
मो. शाकिर ने बताया कि वह ओपीडी में ¨सहवाड़ा से नौ बजे सुबह पहुंचे थे। पर्ची कटाने में उनके पसीने छूट गए। काउंटर के समक्ष न तो बिजली थी न ही पंखे। मरीजों के बीच धक्का मुक्की की नौबत अलग थी। इस उमस में यहां सुविधा नगण्य है। उसे कई दिनों से बुखार है। इलाज तो हरहाल में कराना ही है।
मुकेश कुमार का कहना था कि यहां इलाज कराना काफी मुश्किल है। करीब दो घंटे के बाद उसे डॉक्टर के चैंबर में जाने का मौका मिला है। उसे कई दिनों से बुखार रहता था। धनेश्वर चौधरी ने बताया कि दवा भंडार के पास रोशनी का कोई प्रबंध नहीं है। न ही पंखा है। किस हाल में वहां पर दवा लेने में काफी परेशानी हुई। नौशाद आलम का कहना था कि इस ओपीडी में उपचार के लिए हरेक जगह पसीने छूटते हैं। डॉक्टरों ने सलाह दे दी तो इसके बाद इलाज की प्रक्रिया में क्लीनिकल पैथोलॉजी से लेकर मेडिकल कालेज तक जाते जाते पीड़ा और बढ़ जाती है। कोट मरीजों की सुविधाओं के लिए हरेक सामान स्टोर में उपलब्ध है। सिस्टर इंचार्ज सामान का इंडेंट करती है। कर्मी को तलब किया जाएगा।
-डॉ. एसके मिश्रा, अधीक्षक, डीएमसीएच।