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2020 में ठप हो सकता है दूरस्थ शिक्षा निदेशालय

दरभंगा । विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नए फरमान से ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नए फरमान से ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के तहत संचालित दूरस्थ शिक्षा निदेशालय पर एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Dec 2018 01:31 AM (IST)Updated: Thu, 27 Dec 2018 01:31 AM (IST)
2020 में ठप हो सकता है दूरस्थ शिक्षा निदेशालय
2020 में ठप हो सकता है दूरस्थ शिक्षा निदेशालय

दरभंगा । विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नए फरमान से ललित नारायण मिथिला

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विश्वविद्यालय के तहत संचालित दूरस्थ शिक्षा निदेशालय पर एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। यूजीसी के नए नियम के अनुरूप सत्र 2019-20 के बाद निदेशालय का संचालन भी ठप हो सकता है। इसे जारी रखने के लिए विश्वविद्यालय को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। वर्तमान में राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) से विश्वविद्यालय को 2.47 अंक के साथ

बी ग्रेड प्राप्त है। लेकिन अगर विवि को दूरस्थ शिक्षा निदेशालय का नियमित संचालन करना है तो इसके लिए विवि को नैक से ए ग्रेड लेना होगा, वो भी न्यूनतम 3.26 सीजीपीए अंक के साथ। अगर विश्वविद्यालय ऐसा करने में असफल रहता है तो निदेशालय का संचालन बंद करना होगा। यूजीसी का यह नया फरमान आयोग के वेबसाइट पर अपलोड है। यूजीसी की यह अधिसूचना भारत के राजपत्र में भी प्रकाशित हो चुकी है। निदेशक डॉ. सरदार अरविन्द ¨सह ने बताया कि हाल ही में वे यूजीसी के स्वयं कार्यक्रम की मी¨टग में भाग लेने गए थे तो इस नियम की जानकारी दी गई थी। अब जबकि अधिसूचना जारी हो गई है तो उसी अनुरूप रणनीति बनायी जा रही है।

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विवि के पास मात्र दो सत्र की मोहलत :

यूजीसी के नए नियम के तहत निदेशालय को बचाने के लिए महज दो सत्र की मोहलत बची है। अधिसूचना के अनुसार जिन विश्वविद्यालयों को दूरस्थ कार्यक्रम संचालित करने के लिए सत्र 2017-18 की अनुमति मिल चुकी है, वे शैक्षणिक

सत्र 2019-20 तक इसे संचालित कर सकते हैं। इस दौरान विवि को नैक से प्रत्यायन कराकर वांछित अंक व ग्रेड हासिल करने होंगे। अगर विवि इसमें असफल रहता है तो निदेशालय का भविष्य अंधकार में चला जाएगा। जानकारों की मानें तो नैक के नए मूल्यांकन प्रारूप में ए ग्रेड हासिल करना पहले की अपेक्षा और कठिन हो चुका है।

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निदेशालय के कर्मियों में मची खलबली :

यूजीसी का नियम लागू होते ही निदेशालय में काम करने वाले कर्मचारियों में खलबली मच चुकी है। कर्मियों में आपस में निदेशालय के भविष्य को लेकर

बातें हो रही हैं। निदेशालय में अनुबंध के आधार पर कार्य कर रहे लगभग चार दर्जन कर्मियों को नौकरी जाने का भय सता रहा है।

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1998 में हुई थी दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की स्थापना :

मिथिला विवि में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की स्थापना साल 1998 में हुई थी। तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक डॉ. हरेन्द्र ¨सह निदेशालय के प्रथम निदेशक बनाए गए थे। हालांकि शैक्षणिक कार्यक्रमों की शुरूआत सितंबर 2005 में हुई थी। वर्तमान में निदेशालय के अंतर्गत बीएड, बीलिए, एमलिस सहित 21 विभिन्न

प्रकार के कार्यक्रमों का संचालन हो रहा है जिसमें लगभग 65 हजार छात्र नामांकित हैं। वर्तमान में विवि क्षेत्रान्तर्गत दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर व बेगूसराय जिलों में निदेशालय के 29 से अधिक अध्ययन केंद्र

कार्यरत हैं।

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संस्कृत विवि में भी डिस्टेंस की राह हुई मुश्किल :

कामेश्वर ¨सह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की स्थापना का प्रयास पिछले कई वर्षों से चल रहा है। इस प्रयास को यूजीसी के इस नए नियम से धक्का लगा है। क्योंकि विवि को फिलहाल नैक से 2.70 अंकों के साथ बी ग्रेड मिला हुआ है। अब विवि में दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने के लिए पहले नैक से ए ग्रेड लाना होगा। निेदेशक डॉ. श्रीपति त्रिपाठी ने कहा कि यूजीसी के नए नियम से योजना को झटका तो लगा है। हम आगे की रणनीति पर विचार कर रहे हैं।

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विवि को करनी होगी कड़ी प्रतिस्पर्धा : डॉ. अरविन्द

नैक द्वारा हाल ही में एक्सपर्ट पैनल में शामिल किए गए एमआरएम कॉलेज के प्रधानाचार्य व दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के पूर्व निदेशक रह चुके डॉ. अरविन्द कुमार झा का कहना है कि निदेशालय को बचाने के लिए विवि को अब कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी होगी। निदेशालय का नियमित संचालन करने के लिए विवि को नैक से ए ग्रेड लाना होगा। डॉ. झा ने कहा कि यह नियम राज्य विवि, केन्द्रीय विवि व निजी विवि के साथ मुक्त विश्वविद्यालयों पर भी लागू होना चाहिए।


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