दिनकर ने छायावाद की महत्ता की प्रतिपादित
राष्ट्रकवि रामधारी ¨सह दिनकर की जयंती की पूर्व संध्या पर शनिवार को एमएलएसएम कॉलेज में ¨हदी विभाग की ओर से दिनकर की ²ष्टि में छायावाद विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।
दरभंगा। राष्ट्रकवि रामधारी ¨सह दिनकर की जयंती की पूर्व संध्या पर शनिवार को एमएलएसएम कॉलेज में ¨हदी विभाग की ओर से दिनकर की ²ष्टि में छायावाद विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस दौरान ¨हदी के प्रख्यात समलोचक डॉ. रविभूषण ने दिनकर की आलोचकीय ²ष्टि पर प्रकाश डालते कहा कि छायावाद का मूल्यांकन करते हुए दिनकर जी ने कई ऐसी स्थापनाएं प्रस्तुत की, जिनकी ओर पूर्व में आलोचकों का ध्यान नहीं गया। यह दिनकर ही थे जिन्होंने छायावाद को उत्सघनानंद से जोड़ा और बंगला तथा छायावाद के रहस्यवाद का पार्थक्य स्पष्ट किया। कहा कि दिनकर जी ने अपनी पहली आलोचनात्मक पुस्तक मिट्टी की ओर और उसके बाद की भी कई पुस्तकों में छायावाद पर काम किया है। उन्होंने अलग से कामायनी का भी मूल्यांकन किया। इस क्रम में श्रद्धा को धर्म से जोड़े जाने से रविभूषण ने अपनी सहमति व्यक्त की। कहा कि दिनकर ने छायावाद को लेकर जो सूत्र दिए हैं, उनपर आगे शोध किए जाने की आवश्यकता है। वहीं, लनामिविवि ¨हदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. चंद्रभानु प्रसाद ¨सह ने कहा कि विद्यापति के बाद दिनकर मिथिला में ऐसे दूसरे कवि हैं, जिनकी प्रसिद्धि राष्ट्रीय स्तर पर हुई। कहा कि आलोचक के रूप में दिनकर ने पहली बार छायावाद के गौण कवियों की महत्ता प्रतिपादित की। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य डॉ. विद्यानाथ झा ने की। स्वागत भाषण ¨हदी विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्ण कुमार झा ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सतीश कुमार ¨सह ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अमरकांत कुमार ने किया। मौके पर शोभाकांत, नरेंद्र, मनोज कुमार झा, श्याम भास्कर, डॉ. मुरलीधर झा, डॉ. उषा चौधरी, डॉ. शांतिनाथ ¨सह ठाकुर, डॉ. कैलाश नाथ मिश्र, डॉ. माधव चौधरी आदि मौजूद थे।
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