दो माह में आधा दर्जन मरीजों में डेंगू रोग की हुई पुष्टि
अन्य शहरों के साथ दिल्ली तक की उड़ान सेवा दरभंगा से जब शुरू हो लेकिन दिल्ली में हर साल डेंगू के जरिए दहशत फैलाने वाले मच्छर का आतंक अब यहां भी पहुंच चुका है। दो माह में डीएमसीएच में लक्षण के आधार पर भर्ती कराए गए आधा दर्जन मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है।
दरभंगा । अन्य शहरों के साथ दिल्ली तक की उड़ान सेवा दरभंगा से जब शुरू हो, लेकिन दिल्ली में हर साल डेंगू के जरिए दहशत फैलाने वाले मच्छर का आतंक अब यहां भी पहुंच चुका है। दो माह में डीएमसीएच में लक्षण के आधार पर भर्ती कराए गए आधा दर्जन मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इस समय भी डीएमसीएच में पिकी देवी नाम की एक मरीज डेंगू के नाम पर भर्ती है। हालांकि उनके खून में प्लेटलेट्स की संख्या सवा लाख से ऊपर है। पिकी के साथ पिछले दिनों मो. शब्बीर और लक्ष्मी कुमार भी डेंगू के संदिग्ध मरीज के तौर पर भर्ती कराए गए थे। लेकिन डेंगू की पुष्टि नहीं होने के बाद उन दोनों को छुट्टी दे दी गई। डीएमसीएच में गत अगस्त में शहवाज अहमद, राहुल राज, अब्दुल हमीद और पप्पू झा में डेंगू की पुष्टि हुई थी। जबकि संजय मंडल और रंजीत कुमार में इस रोग की पुष्टि नौ सितंबर तक हो चुकी है। इन दो महीनों में डीएमसीएच को डेंगू के लक्षण के आधार पर कुल 49 मरीजों के खून के नमूने मिले, जिनमें से 45 की जांच हो चुकी है। डेंगू की पुष्टि इन्हीं जांच रिपोर्टों पर हुई है। इन सभी मरीजों को बुखार, खून में प्लेटलेट्स की कमी आदि लक्षण के आधार पर भर्ती कराया गया था। गत वर्ष डीएमसीएच के डेंगू वार्ड में लक्षण के आधार पर 54 मरीज भर्ती हुए थे। इनमें से 30 में डेंगू की पुष्टि हुई थी। वे सभी मरीज देश के अन्य प्रदेशों से यहां आए थे। सर्वाधिक दिल्ली से आने वाले थे। इसके आधार पर माना गया था कि डेंगू ने दरभंगा में पैर नहीं पसारे हैं, बल्कि बाहर से मरीज इसे लेकर आ रहे हैं। इस वर्ष भी कुछ ऐसा ही लग रहा है।
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क्या है लक्षण
डेंगू के लक्षणों में बुखार के साथ तेज सिरदर्द, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द, आंखों के पीछे दर्द, मितली, उल्टी और त्वचा पर चकत्ते आना आदि हैं। इस रोग में खून में प्लेटलेट्स घटता चला जाता है। कई बार प्लेटलेट्स घटने के आधार पर ही गली-मोहल्लों में मरीज को डेंगू बताकर दहशत फैला दिया जाता है। जबकि विशेषज्ञों के मुताबिक प्लेटलेट्स कई अन्य कारणों से भी घट सकते हैं। डेंगू तीन प्रकार के होते हैं। इनमें क्लासिकल, हैमरेजिक और डेंगू सिड्रोम शामिल है। इनमें से तीसरे प्रकार की अवस्था काफी खतरनाक होती है। शुरुआती स्टेज पर डेंगू से किसी की मौत नहीं होती। मात्र तीसरे स्टेज पर जाने के बाद मौत की आशंका होती है। इसके विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरे स्टेज के मरीज अभी तक दरभंगा में देखने को नहीं मिला है। न ही डेंगू से किसी की मौत की ही सूचना है।
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डेंगू की पुष्टि के लिए जरूरी एलाइजा टेस्ट सिर्फ डीएमसीएच में
भारत सरकार ने आधा दर्जन जिलों में डेंगू मरीजों की पुष्टि के लिए अनिवार्य एलाइजा टेस्ट के लिए डीएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की लेबोरेटरी को केंद्र बनाया है। यानि इस रोग की पुष्टि के लिए इस लेबोरेटरी को ही अधिकृत किया गया है। इसके लिए सभी जरूरी उपकरण और सुविधाएं भारत सरकार ही उपलब्ध कराती है। माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरएस प्रसाद ने बताया कि इस जिले में डीएमसीएच के बाहर एलाइजा टेस्ट की सुविधा नहीं है। इसीलिए राज्य सरकार की ओर से सिविल सर्जन को पत्र भेज कर कहा गया है कि अगर किसी निजी नर्सिंग होम में डेंगू के मरीज मिले तो शीघ्र उसकी जांच डीएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में ही कराई जाए। सिविल सर्जन डॉ. एएन झा ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि सिर्फ इसी विभाग की जांच रिपोर्ट ही मान्य होगी। यहां यह जांच मुफ्त में होती है।
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