प्रेमचंद का साहित्य जीवन की सच्चाई पर रचा गया, आज भी गांवों में बसते
दरभंगा। हिन्दी साहित्य भारती बिहार प्रदेश के तत्वावधान में सोमवार को प्रेमचंद जयंती के दूसर
दरभंगा। हिन्दी साहित्य भारती बिहार प्रदेश के तत्वावधान में सोमवार को प्रेमचंद जयंती के दूसरे दिन प्रेमचंद के साहित्य में समकालीन संदर्भ विषय पर आनलाइन परिचर्चा आयोजित किया गया ।इसकी अध्यक्षता डा. प्रभाकर पाठक ने की । कहा उपन्यास सम्राट प्रेमचंद का साहित्य में जो है, वह सर्वत्र है और जो नहीं है, वह कहीं भी नहीं है। मुख्य अतिथि हिन्दी साहित्य भारती के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डा. रवींद्र शुक्ल ने कहा कि प्रेमचंद आज भी गांव में बसते हैं। उनके साहित्य में वर्णित पात्र कल के भारत और आज के भारत में सर्वत्र व्याप्त हैं। हिन्दी साहित्य भारती के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री डा. अनिल शर्मा ने प्रेमचंद के समग्र रचना संसार पर चर्चा की ।
मुख्य वक्ता के रूप में महारानी लक्ष्मीबाई शासकीय कन्या स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय भोपाल के हिन्दी विभाग के प्राचार्य डा. सुधीर कुमार शर्मा ने प्रेमचंद के कहा प्रेमचंद का साहित्य जीवन की सच्चाईयों पर रचा गया है । उनके लेखन में संवेदना की व्यापकता और तरलता है । इसीलिए वे कालजयी रचनाकार है । उनका सारा लेखन शोषितों, वंचितों की. आकांक्षाओं को पूरा करते हुए भारत के सपनों को साकार करने के लिए है । हिन्दी साहित्य भारती के छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष बलदाऊ राम साहू ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने सदैव भारतीय संस्कृति को सामने रखकर साहित्य सर्जना की ।
बिहार प्रदेश के अध्यक्ष डा. दिनेश प्रसाद साह ने कहा कि आज से सौ सवा सौ साल पूर्व प्रेमचंद लिखित अधिकांश रचनाएं आज भी प्रासंगिक है । बड़े घर की बेटी की आनंदी आज भी हमारे घरों में है । जो रिश्ते की अहमियत समझती है और वह घरों को टूटने से बचा लेती है । कार्यक्रम का संचालन हिन्दी साहित्य भारती के बिहार प्रदेश के महामंत्री डा. अजीत कुमार सिंह ने किया। कार्यक्रम में डा. किरण शंकर प्रसाद, डा. संतोष कुमार, अमिताभ कुमार सिन्हा, गोपाल भारतीय, प्रतिभा, अशोक कुमार सिन्हा, डा. प्रेम विजय, डा. प्रदीप कुमार दीक्षित, चेतकर झा, डा. ओम प्रकाश कर्ण, संजय कुमार, सुरेश कंठ, हिमांशु शेखर, बिहार प्रदेश के संगठन महामंत्री, डा. सतीश चंद्र भी शामिल थे।
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