बंजर जमीन को नई पहचान देकर मखाना उत्पादन में नजीर बने धीरेंद्र
दरभंगा। इनके पास छह एकड़ ऐसी जमीन थी जिसमें कोई फसल नहीं होती थी। बंजर जमीन के तौर सं
दरभंगा। इनके पास छह एकड़ ऐसी जमीन थी, जिसमें कोई फसल नहीं होती थी। बंजर जमीन के तौर संबंधित भूखंड की पहचान बनती जा रही थी। लेकिन, ²ढ़ निश्चय से इलाके के एक युवा ने जमीन को नई पहचान दे दी। जमीन ने भी अपनी पेट से मखाना का ऐसा उत्पादन किया कि युवा किसान को सम्मान का हकदार बना दिया। ये हैं थानाक्षेत्र के बेलवाड़ा निवासी धीरेंद्र सिंह। उन्हें मखाना की खेती में सफल योगदान देने के लिए गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी को डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विश्वविद्यालय पूसा के कुलपति द्वारा सम्मानित किया जाएगा। सत्यनारायण सिंह के पुत्र श्री कुमार का पारिवारिक पेशा खेती है । इन्होंने समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की है। इनके पास 6 एकड़ ऐसी जमीन थी, जिसमें कोई भी फसल नहीं हो पाती थी। वहीं 4 एकड़ भूमि में गेहूं और धान की खेती होती थी। अमूमन धान का फसल अतिवृष्टि में अथवा बाढ़ के कारण डूब जाता था। गेहूं और धान से 10 से 15 हजार रुपये प्रतिवर्ष आमदनी होती थी। कृषि विज्ञान केंद्र के संपर्क में आने एवं राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र से तकनीकी जानकारी प्राप्त कर उन्होंने उस भूमि में मखाना एवं सिघाड़े की खेती प्रारंभ की। प्रति हेक्टेयर मखाना को लगाने में 35 हजार का खर्च हुआ। उससे इन्होंने एक लाख प्रति हेक्टेयर आय प्राप्त की। अब उन्हीं खेतों में वो मछली उत्पादन करने जा रहे हैं। जिससे उन्हें अतिरिक्त आय की प्राप्ति होगी। इसके अलावा एक एकड़ में सिघाड़े की खेती की है। इस प्रकार एक शिक्षित युवा ने अपनी जागरूकता से तीन गुनी से ज्यादा आमदनी प्रति एकड़ प्राप्त की है।
अभिनव किसान पुरस्कार मिलेगा धीरेंद्र को
जाले कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉक्टर दिव्यांशु शेखर ने बताया की प्रति वर्ष विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न जिलों के उत्कृष्ट कार्य करने वाले किसानों को अभिनव किसान के रूप में पुरस्कार मिलता है। ताकि, अन्य किसान उनसे प्रेरणा ले सकें। -