Move to Jagran APP

पहले चुनाव में था अंग्रेजों की गुलामी से निकलने का उत्साह

लोकसभा चुनाव को लेकर न सिर्फ युवा वोटर उत्साहित हैं बल्कि बुजुर्ग वोटरों में भी उत्साह है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Apr 2019 12:36 AM (IST)Updated: Mon, 08 Apr 2019 06:24 AM (IST)
पहले चुनाव में था अंग्रेजों की गुलामी से निकलने का उत्साह
पहले चुनाव में था अंग्रेजों की गुलामी से निकलने का उत्साह

दरभंगा । लोकसभा चुनाव को लेकर न सिर्फ युवा वोटर उत्साहित हैं बल्कि बुजुर्ग वोटरों में भी उत्साह है। केवटी प्रखंड के रनवे गांव के बुजुर्ग मतदाता सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक रामपरीक्षण दास अपने जीवन में दिए पहले वोट से लेकर अन्य चुनावों की स्मृतियों को साझा किया। कहा कि पहले लोकसभा चुनाव में पहला वोट पड़ने के दौरान वे युवा वोटर थे। वर्ष 1952 में देश में हो रहे पहले चुनाव में अंग्रेजों की गुलामी से निकलने का उत्साह था। तब और आज के चुनाव में बहुत अंतर आ गया है। राजनीति में सादगी से लेकर अपराधीकरण और वोटरों का लुभाने के लिए धन और बल का प्रयोग को देख चुके हैं। कहा कि जब प्रत्याशी पैदल और उनके समर्थक साइकिल से वोट मांगने आते थे। उस समय के चुनाव और आज प्रत्याशियों से लेकर उनके कार्यकर्ताओं द्वारा महंगे वाहनों से वोट मांगने के चुनाव को देख रहे हैं। पहले का चुनाव सादगी से होता था, आज पैसे के बल पर होता है। प्रत्याशी पानी की तरह पैसे को बहाते हैं। जब राज्य में शराबबंदी नहीं थी तो दल के नेताओं द्वारा वोटरों को शराब पिलाकर और नोट देकर वोट लेते भी देखा है। पैसा पर बिकने वाले वोटर गांधी छाप नोट की मांग करते थे। आज भी वोटर नोट पर वोट देते हैं पर लुक छिपके, सार्वजनिक तौर पर नहीं।

loksabha election banner

दैनिक जागरण रामपरीक्षण दास की लंबी आयु की कामना करता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.