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कमला व जीवछ तट पर बसे बेनीपुर में गंभीर बन चुका क्षेत्र का जलसंकट

बेनीपुर दो नदियों कमला व जीवछ के तट पर बसा है। दोनों नदियों के सूख जाने से सुखाड़ का दंश झेल रहा यह क्षेत्र वर्तमान में गंभीर जल संकट से जूझ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Apr 2019 12:40 AM (IST)Updated: Wed, 03 Apr 2019 06:34 AM (IST)
कमला व जीवछ तट पर बसे बेनीपुर में गंभीर बन चुका क्षेत्र का जलसंकट
कमला व जीवछ तट पर बसे बेनीपुर में गंभीर बन चुका क्षेत्र का जलसंकट

दरभंगा । बेनीपुर दो नदियों कमला व जीवछ के तट पर बसा है। दोनों नदियों के सूख जाने से सुखाड़ का दंश झेल रहा यह क्षेत्र वर्तमान में गंभीर जल संकट से जूझ रहा है। प्रखंड के आधा दर्जन गांवों के करीब नब्बे फीसद चापाकल सूख चुके हैं। लोग पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। इस समस्या से निजात दिलाने में सरकार व प्रशासन अब तक विफल साबित रहा है। पेयजल का संकट दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है और लोग भविष्य को लेकर चितित हैं। हालांकि, इस दौरान लगभग सभी पार्टी के नेताओं ने क्षेत्र की जनता को समाधान का आश्वासन दिया, लेकिन उसका कोई असर अब तक क्षेत्र में देखने को नहीं मिला है। जल संकट से पेयजल की समस्या तो विकराल हो ही रही है, कृषि प्रधान इस क्षेत्र में सिचाई भी बुरी तरह प्रभावित है। अब जबकि चुनाव का बिगुल बज चुका है तो एक बार फिर आश्वासनों का दौर शुरू हो चुका है। जल संकट के साथ ही एक बार फिर से बाबा नागार्जुन के गांव तरौनी को प्रखंड व बेनीपुर को जिला का दर्जा दिलाने की आवाजें भी आने लगी है। लेकिन, स्थानीय लोगों के लिए इस बार सबसे बड़ा मुद्दा जल संकट है, क्योंकि जल है तो जीवन है। 15 सालों से ठप है जलमीनार, अब तक किसी ने नहीं ली सुध :

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बेनीपुर प्रखंड मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित शिवराम गांव के सुनील कुमार झा मोतीबाबू, अमित कुमार राय बिट्टु, काली प्रसाद देव, महादेव झा समेत अन्य ग्रामीणों का कहना है कि लोग पानी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। चुनाव के समय नेता सब्जबाग दिखाते हैं और चुनाव बाद सब भूल जाते हैं। इस बार तो ठोंक बजाकर ही मतदान करेंगे। धरौडा-सकरी मुख्य मार्ग पर स्थित हरिपुर गांव के सुनील कुमार झा, रामप्रीत झा, चमचम देवी, सलोनी देवी, बाबूकांत झा आदि ने बताया कि बलनी, बहेड़ा, चौगमा, बसुहाम, शिवराम, कंथुडीह आदि गांवों में चापाकल बेकार हो चुके हैं। पानी के लिए हाहाकार मचा है। हरीपुर गांव में भी तीन-चार चापाकल बंद हो गए हैं। इस बार वोट मांगने आनेवाले नेताओं से जवाब मांगा जाएगा। बहेडा बाजार में शबीर अहमद, मो. शब्बीर अहमद, मो. गुलाम गौस, सुलताना बेगम, मो. जाकीर आदि ने कहा कि पूरा बाजार पेयजल के संकट से जूझ रहा है। बातें होती हैं, लेकिन स्थायी निराकरण नहीं हुआ। बहेड़ा बाजार में एक व बेनीपुर में करोडों की लागत से बना जलमीनार पिछले 15 वर्षों से बंद पडा है। इस भीषण जलसंकट के समय भी इसे ठीक करवाने की पहल किसी ने नहीं की। जलसंकट के कारण किसानों के खेतों मे धान की फसल जल गई और गेहूं की फसल भी सही नहीं हुई। इस बार जनता नेताओं के लुभावने वादों में नहीं फंसेगी। मझौड़ा चौक पर सामाजिक कार्यकर्ता हरेकांत ठाकुर, राम लखन मिश्र रामू, अकलू यादव, मोहन यादव आदि का कहना है कि आज तक नेताओं ने बेनीपुर को ठगने का काम किया है। लेकिन, इस बार बात जीवन से जुड़ी है। इस बार जनता नेताओं के झांसे में नहीं आएगी।

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फिसड्डी साबित हो रही नल-जल योजना :

सरकार की नल-जल योजना क्षेत्र में अब तक विफल रही है। बेनीपुर प्रखंड के कुल 16 पंचायतों में अब तक केवल 8 पंचायतों में बोरिग गाड़ा गया। इन पंचायतों में पाइप लाइन भी बिछी, लेकिन इसका लाभ अब तक यहां की जनता को नहीं मिल सका है। जिन पंचायतों में बोरिग गड़ा उनमें बलनी, रमौली, बाथो रढि़याम, नवादा, शिवराम, पोहद्दी, मकरमपुर व देवराम अमैठी पंचायत शामिल है। शेष आठ पंचायतों में बोरिग गाड़ने का काम काफी धीमी गति से चल रहा है।

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