Move to Jagran APP

खैरा की बड़ी आबादी को नहीं नसीब हो सकीं बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं

विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने के साथ जहां एक ओर नेता अपनी बात के साथ लोगों के बीच पहुंच रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जनता अपने प्रतिनिधियों के कामकाज का आकलन कर रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 01:32 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 05:06 AM (IST)
खैरा की बड़ी आबादी को नहीं नसीब हो सकीं बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं
खैरा की बड़ी आबादी को नहीं नसीब हो सकीं बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं

दरभंगा । विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने के साथ जहां एक ओर नेता अपनी बात के साथ लोगों के बीच पहुंच रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जनता अपने प्रतिनिधियों के कामकाज का आकलन कर रही है। साथ इस बार के चुनाव में क्या करना है, इसका मन बना रही है। बहादुरपुर की जनता मानती है कि काम हुए। लेकिन, आम आदमी से जुड़ी कई अहम समस्याएं कायम रह गईं। समस्याओं के कायम रहने का मलाल है। वहीं इस बार एक बड़ा मुद्दा खैरा पंचायत स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र का बना है। करीब तीन दशक से बंद पड़े उप स्वास्थ्य केंद्र पर आज भी लोगों की नजर है। लोग कहते हैं कि कोई तो होगा, जो इसे बेहतर स्थिति में ले आएगा। गांव के समाजसेवी द्वारा दान में दी गई चार कट्ठे जमीन पर बना भवन टूटा बताते हैं कि 1986 में पंचायत के समाजसेवी वीरबहादुर सिंह ने 4 कट्ठा जमीन लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिले इसके निमित उप स्वास्थ्य केंद्र बनाने के लिए दान में दी थी। अगले ही साल उप स्वास्थ्य केंद्र बनकर तैयार हो गया। मरीजों का इलाज भी शुरू हो गया। जो लोगों को वरदान लग रहा था। कारण यह कि इलाज के लिए यहां के करीब 3 दर्जन से अधिक गांव के लोगों को 20 किलोमीटर की लंबी दूरी तय करने की समस्या से निजात मिल गई थी। अस्पताल बनने के बाद लोग अपने गांव में ही इलाज करा सकते थे। लेकिन, 3 साल बाद 1990 में मकान के कई हिस्से टूटकर ध्वस्त हो गए। जिसके बाद उपचार का काम बंद हो गया। तब से लेकर आज तक स्थानीय लोग इसकी मरम्मत के लिए नेताओं से लेकर प्रशासनिक पदाधिकारियों के दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन, अबतक लोगों को आश्वासन के सिवा कुछ भी नहीं मिला। बगल के आंगनबाड़ी केंद्र पर हो रहा संचालन

loksabha election banner

स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ मंजर आलम बताते हैं कि प्रखंड की 19 पंचायतों में उप स्वास्थ्य केंद्र और चार पंचायतों में अतिरिक्त उप स्वास्थ्य केंद्र हैं। सभी चालू हैं। सभी केंद्रों पर एएनएम की तैनाती है। जहां उप स्वास्थ्य केंद्र का भवन ध्वस्त है। वहां की व्यवस्था बगल के आंगनबाड़ी केंद्र पर संचालित हो रही है। एएनएम सप्ताह के सोमवार व शनिवार को केंद्र पर मौजूद रहती है।

बोले लोग : तय करनी होती 20 किलोमीटर की दूरी

इलाज के लिए 20 किलोमीटर की लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। इस वजह से पैसा व समय दोनों की बर्बादी होती है। प्राथमिक उपचार नहीं होने की वजह से मरीज की जान जाने की खतरा बना रहता है।

पवन राम, ग्रामीण

पीएचसी दूर होने की वजह से रास्ते में ही कई मरीजों की मौत हो गई है। ना तो प्रशासन इस ओर ध्यान देती है ना ही कोई नेता।

सुशील कुमार सिंह, समाजसेवी

यहां करीब 40 फ़ीसद लोग गरीबी रेखा से नीचे है। पैसे के अभाव में इलाज के बिना लोगों की मौत होती है। झोलाछाप डॉक्टर के भरोसे ही लोग यहां इलाज कराते है।

सुमन सिंह, स्थानीय

पिछले 30 सालों से उप स्वास्थ्य केंद्र ध्वस्त है। जिससे 18000 लोग प्रभावित हैं। कई बार पदाधिकारी को लिखा गया लेकिन अब तक कोई काम नहीं हुआ।

अनिता देवी, मुखिया खैरा पंचायत


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.