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मिथिला की सांस्कृतिक विरासत-धरोहरें महिलाओं के हाथों में सुरक्षित : पद्मश्री उषा

दरभंगा । मिथिला की सांस्कृतिक विरासत और धरोहरें महिलाओं के हाथों सुरक्षित हैं। जब तक सरकार ग्रामीण,

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Jan 2019 12:00 AM (IST)Updated: Fri, 25 Jan 2019 12:00 AM (IST)
मिथिला की सांस्कृतिक विरासत-धरोहरें महिलाओं के हाथों में सुरक्षित : पद्मश्री उषा
मिथिला की सांस्कृतिक विरासत-धरोहरें महिलाओं के हाथों में सुरक्षित : पद्मश्री उषा

दरभंगा । मिथिला की सांस्कृतिक विरासत और धरोहरें महिलाओं के हाथों सुरक्षित हैं। जब तक सरकार ग्रामीण, अनपढ़ और पिछड़े वर्ग की महिलाओं के कृत्यों को संग्रहालय में सुरक्षित करना आरंभ नहीं करेगी, इन वर्गों को संरक्षण और संवर्धन से जोड़ना कठिन है। महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर ¨सह संग्रहालय के तत्वावधान में आयोजित संग्रहालय सप्ताह के पहले दिन आयोजित सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए पद्मश्री उषा किरण खान ने यह बातें कही। उन्होंने कहा कि 1938 में दरभंगा के पंचोभ गांव आकर कमलादेवी चटोपाध्याय ने जिस सुजनी और कशीदा के डिजायनों को जमा किया, वह आज मुंबई के संग्रहालय में सुरक्षित है। सेमिनार का उद्घाटन करते हुए डीएम डॉ. चंद्रशेखर ¨सह ने कहा कि लोगों को धार्मिक भावना से ऊपर उठकर मूर्ति की कलात्मकता को बचाने के लिए भी प्रयास करना चाहिए। मिथिला के विश्व प्रसिद्ध धरोहरों के संरक्षण में सरकारी अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों एवं धार्मिक नेताओं का सकारात्मक सहयोग बहुत आवश्यक है। मिथिला की पाषाण मूर्तियों की स्थिति का वर्णन करते हुए डॉ. सुशांत ने कहा कि सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन के पूर्व टोपोग्राफी में यह देख लेना आवश्यक है कि यहां पर कोई डीह वगैरह तो नहीं था। मधुबनी आर्ट सेंटर नई दिल्ली की मनीषा झा, एमएलएसएम कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. विद्यानाथ झा, डॉ. मंजर सुलेमान, नेपाल से आए दिवेश कुमार ¨सह, बनारस के डॉ. भोगेंद्र झा आदि ने भी बहुमूल्य विचार रखे। मुख्य वक्ता प्रो. रत्नेश्वर मिश्र ने कहा कि यूनान में भी मिथिला की तरह ही दस कन्या पूजन की परंपरा थी और इस प्रकार संस्कृति का संरक्षण एक शाश्वत अनिवार्यता है। पुनर्जागरण और नव जागरण के बीच की बारीकियों को समझाते हुए उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को बहस की अनुमति दी जानी चाहिए कि संस्कृति और परंपरा को किस रूप में अपनावें। अतिथियों का स्वागत एवं संचालन संग्रहालय के संग्रहालयाध्यक्ष डॉ. शिव कुमार मिश्र ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. चंद्रप्रकाश ने किया। इससे पूर्व डीएम ने धरोहर प्रदर्शनी का उदघाटन किया। कार्यक्रम में डॉ. भीमनाथ झा, विमला दत्त, डॉ. श्रवण कुमार चौधरी, गणपति नाथ झा वैद्य, राजनाथ मिश्र, प्रो. धर्मेन्द्र कुमर, प्रो. प्रभाषचंद्र झा, प्रो. अयोध्यानाथ झा, भैरव लाल दास, चंद्रमोहन झा बूढाभाई, फूलचंद्र झा रमण, मुरारी कुमार झा, डॉ. अवनींद्र कुमार झा, रत्नेश कुमार वर्मा आदि उपस्थित रहे।

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