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नगर निगम के घोटालेबाजों के खिलाफ पार्षद करेंगे आंदोलन

नगर निगम में डीजल और शौचालय निविदा में हुए घोटाला को लेकर पार्षदों ने मेयर और प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करने की घोषणा की है। जरूरत पड़ने पर मामले को उच्च न्यायालय में ले जाने की चेतावनी भी दी है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Oct 2019 12:46 AM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 12:46 AM (IST)
नगर निगम के घोटालेबाजों के खिलाफ पार्षद करेंगे आंदोलन
नगर निगम के घोटालेबाजों के खिलाफ पार्षद करेंगे आंदोलन

दरभंगा । नगर निगम में डीजल और शौचालय निविदा में हुए घोटाला को लेकर पार्षदों ने मेयर और प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करने की घोषणा की है। जरूरत पड़ने पर मामले को उच्च न्यायालय में ले जाने की चेतावनी भी दी है। पूर्व पार्षद नफीसुल हक रिकू के आवास पर बुधवार को गोलबंद हुए पार्षदों ने प्रेस वार्ता कर अपनी रणनीति की जानकारी दी। कहा कि मेयर, निगम प्रशासन और सरकार में शामिल कुछ तथाकथित लोग मिले हुए हैं। यही कारण है कि संबंधित दोषी सिद्ध होने के बाद भी बचे हुए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद नैतिकता के आधार पर मेयर से पार्षदों ने त्याग पत्र देने की मांग की। कहा कि उन्हें पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। पार्षदों ने बिना नाम लिए एक राजनेता की ओर भी इशारा करते हुए कहा कि वे पर्दे के पीछे से आरोपित को बचाने का काम कर रहे हैं। पार्षद शंकर प्रसाद जायसवाल, परशुराम गुप्ता, भरत सहनी, निशा कुमारी, जीनत परवीन, पूर्व पार्षद नवीन सिन्हा, फुजैल अंसारी, प्रदीप गुप्ता सहित कई पार्षदों ने कहा कि नगर निगम में हुए डीजल घोटाला जांच में सत्य पाया गया है। 2 जनवरी से 30 अप्रैल 2018 के बीच 22 सौ लीटर डीजल मेयर के गाड़ी के नाम से आपूर्ति कर राशि का घोटाला किया गया। जो नगर आयुक्त के वर्णित पत्र से दोगुना है। संचिका के अनुसार, लॉग बुक की जांच कार्यालय की ओर से की जाती थी। बावजूद, जांच कमेटी को संचिका उपलब्ध नहीं कराया गया। ऐसी स्थित में जांच दल में शामिल अपर समाहत्र्ता और जिला लेख पदाधिकारी ने अपने जांच में माना है कि अगर लॉग बुक की जांच नियमित की जाती तो लगातार 55-55 लीटर डीजल के भुगतान को रोका जा सकता था। पार्षदों ने कहा कि शहर के नौ सार्वजनिक शौचालय कॉम्पेलक्स के तीन वर्षों के लिए 23 अगस्त 2016 को की गई निविदा में संवेदक को बंदोवस्त राशि में छूट की स्वीकृति देकर राशि की गोलमाल की गई। प्रमंडलीय आयुक्त के आदेश पर क्षेत्रीय विकास पदाधिकारी ने जब इस मामले की जांच की तो कई अनियमितता पाई गई। संवेदक ने प्रथम वर्ष की अवशेष राशि जमा नहीं की। निगम ने इसे लेकर संवेदक को दो माह बाद नोटिस दिया, जो संवेदक को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया। पदाधिकारी ने यह भी पाया कि अवशेष राशि जमा नहीं करने पर संवेदक के खिलाफ नीलाम पत्र वाद दायर करने की टिप्पणी की गई। लेकिन, यह कार्रवाई कागज तक ही सीमित रही। निगम ने सशक्त स्थायी समिति की बैठक में राशि वसूलने की कार्रवाई करने की जगह बंदोबस्ती राशि में छूट देने की स्वीकृति दी गई। विभाग ने एक फरवरी 201 इस प्रस्ताव को वैधानिक रूप से सही नहीं पाया। इसलिए दोषियों पर विभागीय कार्रवाई करने का आदेश दिया। लेकिन, निगम ने आज तक कार्रवाई करने का स्पष्ट निर्देश विभाग से प्राप्त करना मुनासिब नहीं समझा। पार्षदों ने कहा कि बिना स्वीकृत पद का ही प्रोन्नति देकर वेतन वित्तीय उन्नयन का प्रस्ताव सशक्त स्थायी समिति की बैठक में लाकर नए घोटाला करने की तैयारी शुरू कर दी गई है।

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