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अभिषद की बैठक नहीं बुलाने पर सिडिकेट सदस्यों ने जताई आपत्ति

दरभंगा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में 12 नवंबर को आहूत दीक्षांत समारोह से पूर्व अभिषद की बैठक नहीं बुलाए जाने पर अभिषद सदस्यों ने घोर आपत्ति व्यक्त की है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 12:33 AM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 12:33 AM (IST)
अभिषद की बैठक नहीं बुलाने पर सिडिकेट सदस्यों ने जताई आपत्ति
अभिषद की बैठक नहीं बुलाने पर सिडिकेट सदस्यों ने जताई आपत्ति

दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में 12 नवंबर को आहूत दीक्षांत समारोह से पूर्व अभिषद की बैठक नहीं बुलाए जाने पर अभिषद सदस्यों ने घोर आपत्ति व्यक्त की है। अभिषद को अप्रासंगिक, निरर्थक तथा अनावश्यक बनाने के प्रयासों को गैर प्रजातांत्रिक तथा नियम परिनियम के विरूद्ध की गई कार्रवाई बताया है। अभिषद सदस्यों ने 25 अक्टूबर को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के विद्वत परिषद की बैठक में लिए गए निर्णय को अभिषद से अनुमोदित ना कराकर उपाधि प्रमाण-पत्र तथा मानक उपाधि पाने वालों के प्रमाण-पत्रों की वैधानिकता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करने का भी आरोप लगाया है। कुलपति को दिए स्मार-पत्र में अभिषद को प्रशासनिक तथा वित्तीय मामलों में सर्वाधिकार प्राप्त कार्यकारी परिषद बताते हुए तीन अभिषद सदस्य क्रमश: डॉ. हरि नारायण सिंह, डॉ. बैद्यनाथ चौधरी एवं मीना कुमारी ने कुलपति पर आरोप लगाया है कि दीक्षांत समारोह से पूर्व नियम-परिनियम तथा इतिहास की उपेक्षा कर अभिषद की बैठक नहीं बुलाकर कुलपति ने अमर्यादित कार्य किया है। अभिषद सदस्यों ने ज्ञापन में लिखा है कि 25 अक्टूबर को विद्वत परिषद की बैठक में प्रमाण-पत्र, उपाधि तथा मानक उपाधि प्राप्तकर्ताओं का नाम अनुमोदित किया गया है, उसे नियमानुसार अभिषद से अनुमोदन कराने पर ही वैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त होगी। ऐसा नहीं कर कुलपति ने न केवल गैरकानूनी कार्य किया है बल्कि उन प्रमाण-पत्रों की वैधानिकता को ही संदेह के घेरे में ला दिया है। बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 अद्यतन संशोधित के नियम 23 का उल्लेख करते हुए सदस्यों ने आरोप लगाया है कि अभिषद ना केवल कुलपति के कार्य बल्कि विद्वत परिषद के निर्णय को भी निर्धारित या ²ढ़ करेगा बल्कि उसको नियमित या नियंत्रित या नियमानुकूल ठहराने का कार्य भी करेगा। उन्होंने कहा है कि विश्वविद्यालय में आज तक ऐसा ही होता रहा है और यही नियमानुकूल भी है। लेकिन वर्तमान कुलपति इतिहास को तोड़कर नियम तोड़ने का नया इतिहास रच रहे हैं, जिसका विश्वविद्यालय पर खराब असर पड़ेगा। अभिषद सदस्यों ने नियम 22 का हवाला देते हुए कहा कि इसके तहत अवकाश को छोड़कर प्रतिमाह अभिषद की बैठक बुलानी होती है। लेकिन 1 मार्च 2019 से अद्यतन अभिषद की मात्र दो सामान्य बैठक ही बुलाई गई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान कुलपति अभिषद को निरर्थक सिद्ध करने का नियम विरुद्ध कार्य कर रहे हैं। सदस्यों ने कुलपति पर अभिषद के कार्यवृत्त से मनमाना छेड़छाड़ करने का अपराधिक कार्य करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अभिषद के निर्णयों को कुलपति नहीं मानते हैं तथा अभिषद और विश्वविद्यालय का माखौल बनाने का कार्य भी कर रहे हैं। कुलपति को भेजे गए ज्ञापन की प्रतिलिपि राज्यपाल सह महामहिम कुलाधिपति के प्रधान सचिव तथा बिहार सरकार के शिक्षा सचिव और अन्य वरीय पदाधिकारियों को भी दी गई है।

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