जान जोखिम में डाल नाव पर सवार हो प्रतिदिन स्कूल जाते बच्चे
एक ओर जहां चहुंओर सड़क व पुल-पुलिया का जाल बिछाया जा रहा है तो दूसरी ओर कई वर्षों से अधवारा समूह नदी के सिरनियां घाट से दर्जनों गांव के लोगों की जिदगानी नाव के सहारे ही पार उतर रही है।
दरभंगा । एक ओर जहां चहुंओर सड़क व पुल-पुलिया का जाल बिछाया जा रहा है, तो दूसरी ओर कई वर्षों से अधवारा समूह नदी के सिरनियां घाट से दर्जनों गांव के लोगों की जिदगानी नाव के सहारे ही पार उतर रही है। मानों नाव से पार होना शायद इनकी किस्मत बन गई है। वैसे उक्त घाट से नाव से पार होना खतरे से खाली नहीं है। उक्त घाट से प्रतिदिन सिरनियां, घरारी, अम्माडीह, नेयाम, थलवारा, सरायहामिद, गोड़हारी, उचौली, छतौना, बहपती, उचौली आदि गांवों के सैकड़ों लोगों का प्रतिदिन आना-जाना होता है। इससे ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है। वहीं, यहां कोई सरकारी नाव नहीं होने से लोगों को निजी नाव से एक निश्चित राशि का भुगतान कर पार होना पड़ता है। लोग तो दिन में जैसे-तैसे नदी पार उतर जाते हैं, लेकिन रात होने पर इनकी परेशानी बढ़ जाती है। खासकर जब कोई महिला प्रसव पीड़ा से तड़पती है तो उसे खटिया पर लादकर नदी के किनारे पर रखा जाता है उसके बाद नाविक को फोन किया जाता है। जब-तक नाविक तैयार हो नाव लेकर आता है, तब-तक स्थिति और नाजुक हो जाती है। कभी-कभी तो बाजार से लौटने के क्रम में देरी हो जाने के कारण लोगों को नदी किनारे अवस्थित किसी के घर या दरवाजे पर ही रात गुजारनी पड़ जाती है। इतना ही नहीं, जान जोखिम में डालकर स्कूल के बच्चे समेत प्रतिदिन नाव से आवाजाही करने को विवश है। यात्रियों से लदी छोटी नाव कब गहरे पानी में समा जाएगी, नहीं जा सकता। कई बार तो नाव बीच नदी में पहुंचने पर करवटें लेनी लगती है। छोटी नाव रहने के कारण खतरे की पूरी आशंका बनी रहती है। यदि जल्द नौका को नहीं बदला गया तो किसी दिन बड़ी घटना हो सकती है।
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कहते है स्थानीय विधायक
उक्त पुल के निर्माण को लेकर विधानसभा में आवाज उठाई थी। सरकार के जेहन में ये बात है। राशि उपलब्ध होने के बाद ही उक्त घाट पर पुल निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी।
अमरनाथ गामी।
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कहते हैं मुखिया
पुल निर्माण नहीं होने से लोगों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। कहा कि इस बावत सूबे के मंत्री महेश्वर हजारी के समक्ष भी उन्होंने अपनीे बातें रखी है।
शफीउर्रहमान उर्फ बौआ मियां।
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