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सरकारी उदासीनता के कारण बज्जिका भाषा को नहीं मिला हक

दरभंगा। बज्जिका विकास परिषद का स्थापना दिवस गुरुवार को सुंदरपुर स्थित कालेगंज मोहल्ला में धूमधाम से मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Jul 2021 11:23 PM (IST)Updated: Thu, 22 Jul 2021 11:23 PM (IST)
सरकारी उदासीनता के कारण बज्जिका भाषा को नहीं मिला हक
सरकारी उदासीनता के कारण बज्जिका भाषा को नहीं मिला हक

दरभंगा। बज्जिका विकास परिषद का स्थापना दिवस गुरुवार को सुंदरपुर स्थित कालेगंज मोहल्ला में धूमधाम से मनाया गया। डॉ. विध्यवासिनी सिंह की अध्यक्षता में समारोह दौरान पुस्तकों का लोकार्पण, बज्जिका साहित्य के संरक्षण व संवर्धन पर विचार गोष्ठी सहित सर्व भाषा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। डा. बज्जिकानंदन का नाटक 'बरहियाबाली' पुस्तक का लोकार्पण करते हुए महापौर बैजंती देवी खेड़िया ने कहा की बज्जिका प्राचीन काल से लोगों से जुड़ी सभ्यता और संस्कृति की मधुर भाषा है। इसके संरक्षण व संवर्धन की आवश्यकता है। इसमें हर संभव मदद करने का उन्होंने आश्वासन दिया। वहीं बज्जिका बैभव पत्रिका का लोकार्पण प्रधान संपादक डॉ. कारजी ने स्वयं किया। जबकि ईंदिरा भारती की गीत ''बाट जोहइत मन'' पुस्तक का लोकार्पण अंगिका भाषा व साहित्य प्रतिनिधि रचनाकार रंजना सिंह ने करते हुए कहा कि बज्जिका बिहार की महत्वपूर्ण भाषा है। मुख्य अतिथि बज्जिकांचल विकास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र राकेश ने कहा कि बज्जिका उत्तर बिहार की प्रमुख भाषा है। सरकारी उदासीनता के कारण अभी तक जो हक मिलना चाहिए वह अब तक नहीं मिला है। इस मांग को लेकर लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। अखिल भारतीय बज्जिका विकास संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष उमेश राय ने बज्जिका भाषा को अष्टम अनुसूची में शामिल करने की मांग को दोहराया। डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि काशीनाथ सिंह, अमरेश्वरी चरण सिन्हा, नवीन कुमार, डॉ. सुरेंद्र गाई, अखिलेश कुमार चौधरी, रामाशंकर सहनी, राजेंद्र प्रसाद, ई. दीपक कुमार सिन्हा, सुनीता सिंह, अरूण कुमार वर्मा, शत्रुघ्न प्रसाद नारद, परिषद् के जिलाध्यक्ष प्रो. विनोद कुमार सिंह आदि ने विचार गोष्ठी को संबोधित किया। डॉ. ओंकार प्रसाद सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। समारोह के द्वितीय सत्र में आयोजत कवि सम्मेलन में कवि रेवती रमण पाठक, हीरालाल सहनी, चंद्रमोहन पोद्दार, शंभु सौरभ, इंदिरा भारती, बज्जिकानंदन, मुस्ताक एक्वाल, दामोदर कमालपुरी, बद्री शर्मा पागल, सतीश चंद्र भगत, अमिताभ कुमार सिन्हा, रंजना रंजना सिंह, मोहन दरभंगिया, उदय शंकर चौधरी, रीतु प्रज्ञा, आशीष अकिचन, मंजर सिद्दीकि, राजेन्द्र सुमन, प्रतिभा स्मृति आदि कवियों ने हास्य व्यंग्य एवं देश भक्ति से ओत-प्रोत रचनाओं की प्रस्तुति दी।

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