मेडिकल कॉलेज का स्थापना दिवस कार्यक्रम दो दिन की जगह इस बार मात्र 10 घंटे की
दरभंगा। दरभंगा मेडिकल कॉलेज का स्थापना दिवस मंगलवार को मनाया जाएगा। इसको लेकर पूरी तैयार
दरभंगा। दरभंगा मेडिकल कॉलेज का स्थापना दिवस मंगलवार को मनाया जाएगा। इसको लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है। कॉलेज को दुल्हन की तरह सजाया गया। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य समेत छात्र-छात्राएं स्थापना दिवस को ऐतिहासिक बनाने के लिए कोई कोर-कसर छोड़ना नहीं चाह रहे हैं। लेकिन इस बीच मेडिकल विद्यार्थी समेत स्थानीय लोगों के बीच थोड़ी निराशा देखी जा रही है। पहले जहां स्थापना दिवस समारोह को दो दिनों तक रंगारंग कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता था। वहीं इस बार आयोजकों द्वार कार्यक्रम के समय को कम कर दिया गया है। कॉलेज का 96 वां स्थापना दिवस मात्र 10 घंटों के कार्यक्रम में सिमट कर रह जाएगा। कॉलेज के पूर्ववर्ती छात्र-छात्राएं इस बार विदेशों से नहीं पहुंच रहे हैं। हालांकि इस से आयोजन में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।
महाराजाधिराज ने की थी 1925 में दरभंगा मेडिकल स्कूल ऑफ टेंपल की स्थापना
तत्कालीन दरभंगा महाराजाधिराज रामेश्वर सिंह ने वर्ष 1925 में दरभंगा मेडिकल स्कूल ऑफ टेंपल की स्थापना की थी। इसके लिए रामेश्वर सिंह ने वायसराय चालर्स को उस समय नौ लाख रुपये दिए थे। महाराजाधिराज ने मेडिकल कॉलेज के लिए करीब 250 एकड़ खरीदी थी। यह सिलसिला अंतिम महाराजा कामेश्वर सिंह तक चली। मेडिकल स्कूल का संचालन वर्तमान पुलिस लाइन के अस्पताल में शुरू हुआ था। इसके पूर्व अंग्रेज सरकार की ओर से पटना से यह मेडिकल स्कूल मुजफ्फरपुर जिले में स्थापित होने वाला था, लेकिन महाराजाधिराज को इसकी भनक लग गई और दरभंगा में चिकित्सा व्यवस्था उच्चतर हो सकी।
स्थापना के वक्त थे इतने विभाग स्थापना काल में मेडिकल कॉलेज में आधा दर्जन विभाग खोले गए थे। इसमें एनाटोमी, फिजियोलॉजी, मेडिसीन, फर्माकोलोजी, सर्जरी, बायोकेमेस्ट्री आदि विभाग खोले गए थे। उस समय मेडिकल स्कूल छात्रों को कई तरह के डिप्लोमा प्रमाणपत्र दिए जाते थे। इसमें मैट्रिक पास छात्र इसमें शामिल होते थे। इसके बाद 1946 में कांडेंस कोर्स की पढ़ाई शुरू हुई। इसके तहत ही छात्रों को एमबीबीएस डिग्री मिलने लगी। अस्पताल का विस्तारीकरण 1935 के बाद शुरू हुई। वर्तमान में कॉलेज में 18 विभाग कार्यरत हैं।
महाराजाधिराज की नहीं लगी प्रतिमा
संस्थापक तत्कालीन दरभंगा महाराजाधिराज रामेश्वर सिंह की प्रतिमा कॉलेज के पुराने भवन में रखी है। वर्षों बाद भी कॉलेज परिसर में प्रतिमा स्थापित नहीं की गई है। प्रतिमा का निर्माण राजस्थान में लाखों रुपये से कराया गया था। दो साल पूर्व इसे स्थापित करने की बात उठी थी। प्रतिमा स्थापित करने के लिए सरकार को फाइल भेजी गई थी। इसके बाद भी इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। डॉ. रमण कुमार वर्मा ने बताया कि संस्थापक की प्रतिमा का कॉलेज के पुराने भवन में रखकर अपमान किया जा रहा है। -