युवाओं के लिए मार्गदर्शन का काम करते हैं स्वामी विवेकानंद के विचार
दरभंगा। स्वामी विवेकानंद का स्मृति दिवस चार जुलाई को है। उन्होंने विश्व में हिदू धर्म की ध्वजा लहराने का काम किया।
दरभंगा। स्वामी विवेकानंद का स्मृति दिवस चार जुलाई को है। उन्होंने विश्व में हिदू धर्म की ध्वजा लहराने का काम किया। शिकागो विश्व धर्म परिषद में उनके भाषण को कौन भूल सकता है। उनकी बताई बातें आज भी प्रासंगिक हैं। 12 जनवरी 1863 को जन्मे स्वामी विवेकानंद वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेंद्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत की आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदांत दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानंद के कारण ही पहुंचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें दो मिनट का समय दिया गया था, लेकिन उन्हें प्रमुख रूप से उनके भारत की शुरूआत मेरे अमरीकी भाइयों एवं बहनों के साथ काम करने के लिए जाना जाता है। उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था। उनका कथन उठो, जागो और तब तक ना रूको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए, आज भी युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत का काम करता है। विवेकानंद कहते थे कि हर आत्मा ईश्वर से जुड़ी है। हम इसकी दिव्यता को पहचानें, अपने आप को अंदर या बाहर से सुधारकर। कर्म, पूजा, अंतर मन या जीवन दर्शन, इनमें से किसी एक या सब से ऐसा किया जा सकता है और फिर अपने आपको खोल दें। यही सभी धर्माें का सारांश है। मंदिर, परंपराएं, किताबें या पढ़ाई, ये सब इससे कम महत्वपूर्ण है। स्वामी विवेकानंद के आदर्शों को आज भी युवा अपना रहे हैं। हर साल उनकी जयंती पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से वृहत कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। छात्र मणिकांत ठाकुर, धीरज कुमार, आलोक कुमार, उत्सव पराशर, पूजा कुमारी, रश्मि कुमारी आदि ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म को विश्व पटल पर पूरी ²ढ़ता से रखा। उनके विचार युवाओं के लिए मार्गदर्शन का काम करते हैं। कहा कि उनके सिद्धांत पर चलने वाले को कभी असफलता हताश नहीं कर सकती।