कोरोना काल में पढ़ाई का साधन बना मोबाइल, गरीब बच्चे सुविधा से दूर
कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच धीरे-धीरे धार्मिक और व्यवसायिक गतिविधियों में छूट दी गई है। लेकिन सरकार स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई जोखिम उठाना नहीं चाहती है। अगस्त से पहले शैक्षणिक गतिविधियां शुरू होने की उम्मीद नहीं दिखती है।
दरभंगा। कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच धीरे-धीरे धार्मिक और व्यवसायिक गतिविधियों में छूट दी गई है। लेकिन, सरकार स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई जोखिम उठाना नहीं चाहती है। अगस्त से पहले शैक्षणिक गतिविधियां शुरू होने की उम्मीद नहीं दिखती है। सरकार के इस दूरदर्शी फैसले ने स्कूल और कॉलेज जानेवाले बच्चों और युवाओं को बड़ी संख्या में संक्रमित होने से बचा तो लिया। लेकिन, पहले से ही चरमराई शिक्षा व्यवस्था इससे पूरी तरह से ठप हो गई है। बताया जाता है कि स्कूल खुलने के बाद भी बच्चों को शारीरिक दूरियां सहित कई अन्य स्वास्थ्य नियमों से गुजरना होगा। ऐसी स्थिति में इस वर्ष पढ़ाई पूरी होने की उम्मीद नहीं है। कोरोना महामारी के फैलाव को रोकने के लिए लॉकडाउन से पहले ही देश के सभी स्कूल, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अगले आदेश तक के लिए बंद कर दिया गया था। उससे पहले सभी बच्चे ठंड और होली की छुट्टी से घर पर आराम कर रहे थे। ऐसी स्थिति में बच्चों की पढ़ाई और प्रभावित नहीं हो, इसे लेकर कोचिग और ट्यूशन पढ़ाने वाले कई संस्थानों ने ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था शुरू की है। लेकिन, ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। गरीब बच्चों में स्मार्ट मोबाइल की कमी खल रही है। छात्र पियूष राज ने बताया कि तीन महीनों से स्कूल बंद है। ट्यूशन पढ़ाने भी शिक्षक नहीं आ रहे हैं। ऐसे में मोबाइल से निजी शिक्षक पढ़ाई करा रहे हैं। लेकिन, नेटवर्क की समस्या परेशान कर देती है। बावजूद, काफी हद तक लाभ मिलने की बात कही। दूरदर्शन के प्रादेशिक चैनलों से भी पढ़ाई में मदद मिल जाती है। नवम वर्ग की छात्रा सिद्धि कुमारी को जल्द स्कूल खुलने का आसार नहीं दिख रहा है। कहा कि ऐसे में परीक्षा भी प्रभावित होगा। वहीं, छात्र रामभरोस ने बताया कि घर में स्मार्ट फोन नहीं होने से परेशानी है। दोस्त से कॉपी लेकर पढ़ते हैं।