लॉकडाउन ने परिवारों को दिया आपस में जुड़ने का मौका
दरभंगा। वर्तमान समय त्रासदी का है। इससे बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिग एकमात्र कारगर उपाय है। इसी के तहत सरकार ने एहतियातन लॉकडाउन की घोषणा भी की है। सभी परिवार घर के भीतर हैं। कुछ लोग इसे बंदिश या नकारात्मक भावनाओं से देखते हैं। लेकिन इसका सकारात्मक पहलू भी है जिसे हमें समझना होगा।
दरभंगा। वर्तमान समय त्रासदी का है। इससे बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिग एकमात्र कारगर उपाय है। इसी के तहत सरकार ने एहतियातन लॉकडाउन की घोषणा भी की है। सभी परिवार घर के भीतर हैं। कुछ लोग इसे बंदिश या नकारात्मक भावनाओं से देखते हैं। लेकिन इसका सकारात्मक पहलू भी है जिसे हमें समझना होगा। वर्षो बाद प्रकृति ने हमें यह मौका दिया है कि परिवार के सभी सदस्य दबाव में ही सही, एक साथ रहें। परिवारों को जुड़ने का मौका मिला है। इस मौके को हमें इसी रूप में लेना चाहिए।
यह कहना है ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के वरीय प्राध्यापक प्रो. गोपी रमण प्रसाद सिंह का। प्रो. सिंह कहते हैं- इस समय परिवार के प्रति हमारी जिम्मेदारी बढ़ी है। साथ ही, एक-दूसरे से अपने संबंध बेहतर करने का मौका भी है। बड़े-बुजुर्ग बच्चों के साथ समय व्यतीत करें। उन्हें अच्छी सीख दें। अधिकांश घरों में महिलाएं प्रतिदिन घर में रहती हैं। पुरुष काम करने बाहर निकलते हैं। लेकिन, अभी पुरुष भी घर में है। ऐसे में पुरुषों को चाहिए कि वे घर के कामों में महिलाओं का हाथ बंटाएं और उन्हें अपनेपन का एहसास कराएं। परेशानी घर के बाहर है। लेकिन घर के अंदर हम इस परेशानी को खुशियों में बदल सकते हैं। समाजशास्त्र का समायोजन सिद्धांत भी यही कहता है कि व्यक्ति का ऐसा स्वभाव होना चाहिए कि समस्याओं के साथ मित्रवत व्यवहार करे। इससे समाज की व्यवस्था चलायमान रहती है। वर्तमान परिस्थिति से घबराने की जरूरत नहीं है। परिवार के साथ बने रहिए, हर मुश्किल आसान नजर आएगी।