छंदमुक्तता से छंदबद्धता की ओर लौट रही कविता : प्रो. दिनेश
दरभंगा। लनामिवि के स्नातकोत्तर हिदी विभाग में मंगलवार को संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। समकालीन हिदी कविता के महत्वपूर्ण कवि एवं अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा के हिदी विभागाध्यक्ष प्रो. दिनेश कुशवाहा ने विभाग के छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों से संवाद करते हुए काव्यपाठ किया।
दरभंगा। लनामिवि के स्नातकोत्तर हिदी विभाग में मंगलवार को संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। समकालीन हिदी कविता के महत्वपूर्ण कवि एवं अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा के हिदी विभागाध्यक्ष प्रो. दिनेश कुशवाहा ने विभाग के छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों से संवाद करते हुए काव्यपाठ किया। प्रो. कुशवाहा ने कहा कि आज की हिदी कविता वही सार्थक है जो खोए शब्दार्थ की तलाश करती है। कविता छंदमुक्तता से छंदबद्धता की ओर लौट रही है। उन्होंने उजाले में आजानुबाहु, सोच लीजिए और दशहरे पर राजा की सवारी जैसी अतिलोकप्रिय कविताओं का पाठ कर श्रोताओं की वाहवाही लूटी। युवा कवि मनोज कुमार झा ने भी अपनी कविताएं यह बारिश, काया, विनय का पाठ किया। कार्यक्रम के आरंभ में हिदी विभागाध्यक्ष डॉ. चंद्रभानु प्रसाद सिंह ने प्रो. कुशवाहा का स्वागत करते हुए कहा कि वे नागार्जुन की परंपरा के कवि है, जिनकी कविता में शब्द और कर्म की एकता है। विश्वविद्यालय हिदी विभाग के डॉ. विजय कुमार एवं डॉ. सुरेंद्र प्रसाद सुमन ने पाग-चादर से प्रो. कुशवाहा का स्वागत किया। कार्यक्रम में प्रधानाचार्य डॉ. विद्यानाथ झा, डॉ. कृष्ण कुमार झा, डॉ. अमरकांत कुमार, डॉ. सतीश कुमार सिंह, अखिलेश कुमार, शोधार्थी पार्वती कुमारी, कृष्णा अनुराग, अभिषेक कुमार सिंहा समेत बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
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