मिथिला विवि में पाठयक्रम को स्व-अधिगम सामग्री में किया जाएगा परिवर्तित
दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन स्थित सभागार में कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में प्रति-कुलपति प्रो. जयगोपाल अध्यक्ष छात्र कल्याण डॉ. रतन कुमार चौधरी व विभिन्न विभागों के संसाधनों व विभागाध्यक्षों की बैठक हुई।
दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन स्थित सभागार में कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में प्रति-कुलपति प्रो. जयगोपाल, अध्यक्ष छात्र कल्याण डॉ. रतन कुमार चौधरी व विभिन्न विभागों के संसाधनों व विभागाध्यक्षों की बैठक हुई। इसमें च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के तहत दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की ओर से संचालित स्नातक व स्नातकोत्तर स्तरीय कार्यक्रमों के पाठ्यक्रम को स्व-अधिगम सामग्री तैयार करने के संबंध में विचार-विमर्श किया गया। बैठक में यह सुझाव रखा गया कि विश्वविद्यालय अंतर्गत जो पाठ्यक्रम की विषय वस्तु है, उसको ही ओडीएल माध्यम के स्व-अधिगम सामग्री में परिवर्तित किया जाएगा। इसके लिए विभागाध्यक्षों व विषय विशेषज्ञ की कमेटी बनाकर संकायध्यक्षों के दिशा-निर्देश में कार्य को मूर्त रूप दिया जाएगा। विषय वस्तु को सेमेस्टर प्रणाली के अनुरूप विभाजित कर तैयार किया जाएगा। परीक्षा पूर्व की भांति ही वार्षिक स्तर पर ही होगी, यह भी निर्णय लिया गया। विदित हो कि प्रत्येक पाठ्यक्रम को विश्वविद्यालय स्तर व दूरस्थ माध्यम पर एक रूप होना चाहिए। इस दौरान सभी विभागाध्यक्षों व संकायाध्यक्षों ने कुलपति के समक्ष अपने-अपने विचार रखें। प्रो. सिंह ने सभी बिदुओं पर विचार-विमर्श के बाद इस प्रणाली को स्नातकोत्तर स्तर पर लागू करने व इस दिशा में सार्थक पहल करने का सुझाव दिया। उन्होंने यूजीसी-डेब की नियमावली के अनुरूप कार्य करने की सलाह दी। निदेशक, दूरस्थ शिक्षा सरदार अरविद सिंह ने यूजीसी-डेव की नियमावली व दूरस्थ शिक्षा की वर्तमान आवश्यकता अनुरूप पाठ्यक्रम को परिवर्तित रूप में प्रस्तुत करने पर चर्चा की गई। उपनिदेशक डॉ. शंभू प्रसाद ने यूजीसी की ओर से निर्धारित मानदंडों को विस्तार से बताया।
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च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू करने में मिथिला विवि काफी पीछे :
च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम को यूजीसी ने डीयू समेत देश भर के विश्वविद्यालयों में लागू करने के लिए गाइड लाइंस वर्ष 2015-16 में ही जारी की थी। इसी दौरान विश्वविद्यालय सिस्टम में बड़े बदलाव की वकालत की थी। यूजीसी के क्रेडिट सिस्टम फॉर्मूला को लागू करने के आदेश के कारण विश्वविद्यालयों को अपने कोर्स करिकुलम में बदलवा करना पड़ा था। लेकिन, विश्वविद्यालय को अपने कोर्स करिकुलम में बदलाव करने में चार से पांच साल लग गए। च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू करने में मिथिला विश्वविद्यालय काफी पीछे हैं। मिथिला विश्वविद्यालय में वर्ष 2019 में स्नातकोत्तर विभाग में च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू किया गया था। लेकिन, अबतक मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातक कोर्स में च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू नहीं है।
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नए सिस्टम में हर विषय का क्रेडिट किया जाएगा तय :
नए सिस्टम में हर विषय का क्रेडिट तय किया जाएगा। विद्यार्थियों को यह आजादी रहेगी कि वह मेन पेपर के अलावा अपनी पसंद के दूसरे पेपर भी पढ़ सकेंगे। मसलन, अगर फिजिक्स ऑनर्स में 16 पेपर हैं और इनमें से फिजिक्स के 10 कंपल्सरी पेपर स्टुडेंट्स को पढ़ने होंगे तो बाकी के छह पेपर वह केमिस्ट्री, मैनेजमेंट या दूसरे किसी विषय के साथ पढ़ सकता है। इसके अलावा वह दूसरे विश्वविद्यालयों में जाकर भी एक सेमेस्टर की पढ़ाई कर सकता है।
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