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11 वर्ष बाद मां की ममता का मिला छांव, छलके आंसू

बांग्लादेश की जेल से 11 साल बाद अपने गांव हायाघाट के मनोरथा लौटे सतीश की याददाश्त रह-रहकर डोल जाती थी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 01:57 AM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2019 01:57 AM (IST)
11 वर्ष बाद मां की ममता का मिला छांव, छलके आंसू
11 वर्ष बाद मां की ममता का मिला छांव, छलके आंसू

दरभंगा। बांग्लादेश की जेल से 11 साल बाद अपने गांव हायाघाट के मनोरथा लौटे सतीश की याददाश्त रह-रहकर डोल जाती थी। जिसके साथ सतीश बचपन में खेला-कूदा करता था, कभी-कभी उसे पहचानने में वो भूल कर बैठता था। पंडाल के नीचे लगी भीड़ में जिसे वो पहचानता था, उसे हाथ जोड़कर प्रणाम करता था। लाख पूछने पर भी वह स्पष्ट कुछ भी नहीं बता पा रहा था। आखिर टेंट कंपनी में काम करते-करते पटना से बांग्लादेश कैसे पहुंचा, इसपर वह माकूल जवाब नहीं दे पा रहा था। उसके हाव-भाव को देखने से वह डरा-सहमा सा प्रतीत होता था। बहन सुनीता देवी व चचेरी बहन गीता देवी, भाभी मीना देवी, माला देवी ने सतीश के लिए उसकी पंसद का मूंग का चोखा, रोटी, दाल, भात, तरुआ, तिलोरी, मुर्गा आदि बनाया था। इधर, सतीश के स्वागत में चचेरे भाई गंगासागर चौधरी, छोटा भाई मुकेश, बहनोई नरेश चौधरी समेत ग्रामीण संजय कुमार, बासुदेव मांझी, नीलम देवी, अशोक मांझी, श्यामकिशोर मांझी, चंदन मांझी, चंदर राय, गीता देवी, बैजू मांझी, रौशन कुमार, भोला सहनी, फूलो सदा, पुलिद्र मांझी, लुक्खी देवी, रामो देवी ने बताया कि सतीश शुरू से ही मिलनसार व मेहनती था। उम्मीद करते हैं कि वो जेल से छूटकर आया है तो फिर से नई जिदगी की शुरूआत करेगा। इधर, सतीश के परिजनों ने दैनिक जागरण को धन्यवाद देते कहा कि, उन्हीं की बदौलत आज उनका सतीश उनके साथ है। सतीश के साथ आए मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन द़फ्तुआर की पूरे प्रकरण में भूमिका की सराहना करते उनका भी अभिनंदन किया गया। इससे पूर्व सतीश के स्वागत में बज रहे डीजे व झाल-मृदंग के साथ लोगों को नाचते हुए देख सतीश भी खुशी से झूमने लगा। इस बीच, बारिश की बूंदें मानों सतीश को आशीर्वाद दे रही हो। सतीश को पत्नी अमोला देवी ने फूल-माला पहनाकर पति के चरण छू आशीर्वाद लिया। सतीश ने अपनी मां काला देवी का चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लिया। वहीं, बहन सुनीता देवी, गीता देवी ने सतीश को तिलक लगाया। मिठाई खिलाकर सतीश को मुंह मीठा कराया। पूरा गांव मानों सतीश जिदाबाद, भारत माता की जय के नारे से गूंजता रहा। गांव में पटाखे की गूंज गूंजती रही। सतीश के दोनों पुत्र आशिक व भोला का कहना था कि वैसे तो चाचा हमलोगों का पूरा ख्याल रखते थे। अब पापा भी उनका ख्याल रखेंगे। छोटा पुत्र भोला का चेहरा सतीश ने पहली बार देखा, छोटा लड़का जब गर्भ में था तब सतीश बांग्लादेश भटकते हुए चला गया था।

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