मुख्य सड़कों पर सब्जी बाजार, गलियों से गुजरती हैं गाड़ियां
शहर का मुख्य चौक-चौराहा हो या फिर मुख्य सड़क सभी पर अतिक्रमण का साया है। यूं कहें कि ये सभी सड़कें अतिक्रमणकारियों की गिरफ्त में है।
दरभंगा । शहर का मुख्य चौक-चौराहा हो या फिर मुख्य सड़क, सभी पर अतिक्रमण का साया है। यूं कहें कि ये सभी सड़कें अतिक्रमणकारियों की गिरफ्त में है। जगह-जगह नजर दौड़ाने पर आपको महसूस होगा कि आप सड़कों पर नहीं बल्कि गांव के किसी हाट से गुजर रहे है। जी हां, सड़कों पर ही सब्जियों का बाजार और फल मंडी का नजारा है। कहीं चौक-चौराहा पर तो कहीं सड़क के किनारे। न कोई इसका खुलकर विरोध ही करता है न हीं कोई रोकता व टोकता है। यूं कहें कि इनका तथाकथित संगठन जिला प्रशासन से लेकर निगम प्रशासन तक पर भारी पड़ रहा है। पुलिस भी इनके समक्ष बौनी साबित हो रही है। अब जब बीच सड़क पर ही सब्जियों और फलों का बाजार चलने लगे तो भला यातायात व्यवस्था का होगा होगा, इसकी कल्पना की जा सकती है। ऐसा नजारा किसी एक जगह का नहीं बल्कि पूरे शहर का दिखता है। इसके कारण यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो जाए या फिर अवरूद्ध ही हो जाए, किसी को इसकी परवाह तक नहीं है। इसके कारण इन इलाकों से होकर गुजरने वाले यात्रियों की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। पहले एक्का-दुक्का दुकानें हुआ करती थी, अब दर्जनों की संख्या में दूर-दराज ग्रामीण इलाकों से लोग टोकरियों में सामान भरकर धंधा करने शहर की मुख्य सड़कों पर पहुंच जाते है। स्थिति यह हो गई कि अब लोग सड़कों पर गाड़ियां चलाने की बजाए गलियों से निकलना ज्यादा पसंद करते है।
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कादिराबाद से लेकर शिवधारा चौक तक सड़क पर चल रहा सब्जी का कारोबार
एक दशक पूर्व की बात करें तो मुख्य सड़क पर सब्जी बेचने की परंपरा नहीं थी। कालातंर में आसपास के गांव के लोगा सर पर टोकरी लिए घर-घर घुमकर हरी सब्जी बेचा करते थे। सड़क किनारे केवल आलू-प्याज आदि की बिक्री ही होती थी। लेकिन धीरे-धीरे लोग टोकरी को सर पर ढ़ोने के बजाए सड़कों पर बैठकर ही सब्जी बेचने लगे। इनकी संख्या कम होने के कारण पहले न तो आवागमन में ज्यादा परेशानी होती थी, न हीं पांव पैदल चलने में। लेकिन, अब आवागमन के साथ-साथ पांव पैदल चलना भी दूभर हो गया है। कादिराबाद से लेकर शिवधारा चौक तक सुबह से लेकर देर शाम तक सब्जी का बाजार गुलजार रहता है। चूंकि दरभंगा-पटना मुख्य मार्ग होने के कारण और मब्बी एनएच की दूरी कम होने के कारण अधिकांश लोग बाइपास न जाकर पटना जाने के लिए इस सड़क का उपयोग करते है। लेकिन कम दूरी तय कर एनएच तक पहुंचना अब इनके लिए सरदर्द हो गया है। करीब एक किमी का सफर तय करने में कभी-कभार घंटों लग जाता है। जाम का कारण सिर्फ और सिर्फ एक है, और वह हैं सड़कों पर चल रहा अवैध सब्जियों का बाजार।
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शहर की हृदयस्थली पर भी अतिक्रमणकारी काबिज
शहर की हृदयस्थली दरभंगा टावर भी अतिक्रमण की चपेट में है। आप चाहें किसी भी रोड से दरभंगा टावर जाना चाहें, आपको जाम की समस्या से दो-चार होना ही पड़ेगा। टावर के चहुंओर अतिक्रमणकारी किसी न किसी रुप में काबिज है। यहां तक कि फुटपाथ पर भी दुकानदारी चलाई जा रही है। लोगों के चलने के लिए बनाया गया फुटपाथ, अब दुकानदारों की जागीर बन गया है। संबंधित थाना इनपर किसी तरह की कोई कार्रवाई करने से परहेज करता है। इधर, नगर निगम प्रशासन पूरी तरह से मूकदर्शक बना हुआ है। नगर निगम प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि अतिक्रमण को खाली कराना उनकी जबावदेही नहीं है, जिला प्रशासन का यह काम है।