सुख-समृद्धि के लिए भगवान विष्णु के 14 नामों की होती पूजा
अनंत चतुर्दशी के पूजा की शुरुआत पांडवों ने की थी। मान्यताओं के अनुसार पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर दुखों से मुक्ति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए अनंत व्रत रखकर अनंत की पूजा की और अनंत डोरा को बांह पर धारण किया।
दरभंगा । अनंत चतुर्दशी के पूजा की शुरुआत पांडवों ने की थी। मान्यताओं के अनुसार पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर दुखों से मुक्ति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए अनंत व्रत रखकर अनंत की पूजा की और अनंत डोरा को बांह पर धारण किया। इसके बाद कौंडिल्य और उनकी पत्नियों दीक्षा और शीला ने भी अनंत की पूजा की। तब से ही हिदु धर्म में अनंत पूजा का प्रचलन चला आ रहा है। यह पूजा हर वर्ष भादो मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्दशी को मनाया जाता है। इसलिए इसे अनंत चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस बार अनंत चतुर्दशी 12 सितंबर यानी की गुरुवार को होगी। इसको लेकर बाजार में अनंत की दुकानें सज गई है। लोग रंग-बिरंगे अनंत धागा खरीद रहे हैं। हालांकि, इसकी कीमत बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन लोगों की आस्था ने इसे काफी मूल्यवान बना रखा है। बाजार में दो से लेकर दस रुपये तक के अनंत बिक रहे हैं।
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भगवान विष्णु के 14 नामों की होती पूजा :
संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद विभागाध्यक्ष डॉ. विद्येश्वर झा के अनुसार अनंत पूजा में भगवान विष्णु के 14 नामों की पूजा की जाती है। इस दिन अनंत डोरा को धारण किया जाता है। धारण करने से पूर्व अनंत डोरा को पूजा जाता है। इसमें 14 गांठें होती हैं। भगवान विष्णु के 14 नामों से इन गांठों की पूजा की जाती है। हर गांठ पर अलग-अलग नामों से भगवान विष्णु का आवाहन किया जाता है। ये 14 नाम हैं - अनंत, पुरुषोत्तम, ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, बैकुंठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविद। इस पूजा में 14 प्रकार के फल, पकवान, मधु आदि भगवान को समर्पित किए जाते हैं।
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पूजा का शुभ समय :
खराजपुर निवासी पुरोहित बैद्यनाथ मिश्र के अनुसार पूजा का संकल्प सुबह सूर्योदय से सुबह के नौ बजे तक कर लें, यह सबसे शुभ मुहूर्त है। हालांकि, पूजा दिन के तीन बजे तक होगी। गुरुवार को चतुर्दशी दिवा-रात्रि है। पं. मिश्र के अनुसार अनंत पूजा के दिन व्रत रखने, अनंत कथा सुनने और अनंत डोरा धारण करने से सभी प्रकार के दु:खों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
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अनंत धारण करने का मंत्र :
अनन्तसंसारमहासमुद्रे मग्नं समभ्युद्धर वासुदेव। अनन्तरुपे विनियोजयस्व ह्यनन्तरुपाय नमो नमस्ते। अनंत धारण करने से पूर्व इस मंत्र का जाप श्रेयस्कर माना जाता है।
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