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मिल्की गांव के सामने टूटा खिरोई का तटबंध, दरभंगा-सीतामढ़ी रेल परिचालन ठप

जाले प्रखंड क्षेत्र में अधवारा समूह की खिरोई नदी का पश्चिमी तटबंध सोमवार की रात करीब तीन बजे मिल्की गांव के सामने करीब पचास फीट में ध्वस्त हो गया। तटबंध टूटने से जाले प्रखंड क्षेत्र के पश्चिमी भाग के करीब 16 पंचायत बाढ़ से प्रभावित हो गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Jul 2019 12:33 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jul 2019 12:33 AM (IST)
मिल्की गांव के सामने टूटा खिरोई का तटबंध, दरभंगा-सीतामढ़ी रेल परिचालन ठप
मिल्की गांव के सामने टूटा खिरोई का तटबंध, दरभंगा-सीतामढ़ी रेल परिचालन ठप

दरभंगा । जाले प्रखंड क्षेत्र में अधवारा समूह की खिरोई नदी का पश्चिमी तटबंध सोमवार की रात करीब तीन बजे मिल्की गांव के सामने करीब पचास फीट में ध्वस्त हो गया। तटबंध टूटने से जाले प्रखंड क्षेत्र के पश्चिमी भाग के करीब 16 पंचायत बाढ़ से प्रभावित हो गए हैं। दरभंगा-सीतामढ़ी रेलखंड के मुरैठा-कमतौल स्टेशन के बीच रेल पुल संख्या 18 के निकट बांध टूटने से रेल परिचालन एक बार फिर रोक दी गई है। तटबंध पर पहले से खतरा बना हुआ था, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ा। बांध की कमजोर स्थिति के कारण मिल्की गांव के लोग पहले से सचेत थे। बांध टूटते ही लोग जान-माल लेकर सुरक्षित ठिकानों की ओर भागने लगे। कई विशाल पेड़ गिर गए हैं। कई पशु बाढ़ के पानी में बह गए। अभी तक किसी के मौत की सूचना नहीं है। जाले पश्चिमी भाग के मिल्की-बेलवाड़ा, राढ़ी पश्चिमी, राढ़ी उत्तरी, राढ़ी दक्षिणी, काजी बहेरा, देउरा-बंधौली, मुरैठा, दोघरा समेत करीब सोहल पंचायतों में बाढ़ का पानी फैल चुका है। बांध टूटने की जानकारी मिलने के बाद प्रशासन भी सक्रिय हुआ है। हालांकि, अभी तक बाढ़ पीड़ितों के पास कोई मदद नहीं पहुंची है। सुखाड़ की मार झेल रहे लोगों पर अब बाढ़ का कहर शुरू हो गया है। लोग जान-माल की सुरक्षा के लिए ऊंचे जगहों पर शरण ले रहे हैं। इन पीड़ितों का कमतौल, जाले व दरभंगा से सड़क संपर्क भी भंग हो गया है। तटबंध टूटने की जानकारी मिलते ही रेल अधिकारियों की एक टीम ने मंगलवार की सुबह रेल पुल संख्या 18 व रेल ट्रैक का निरीक्षण कर तत्काल प्रभाव से रेल परिचालन को बंद कर दिया है। जाले प्रखंड प्रशासन ने भी कटान स्थल का जायजा लेते हुए बाढ़ पीड़ितों की सुधि ली एवं शीघ्र राहत मुहैया कराने का आश्वासन दिया है। मुरैठा, चकमिल्की, बेलबाड़ा, खजुरवाड़ा, भवरपुरा आदि गांवों के सैकड़ों एकड़ भूमि में धान की फसलें डूब गई है।

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कमतौल-बसैठा पथ पर चढ़ा बाढ़ का पानी

इधर, मंगलवार के अपराह्न करीब एक बजे बिस्फी (मधुबनी) प्रखंड के जगवन गांव स्थित धौस नदी के पश्चिमी महाराजी तटबंध के टूट जाने से नदी का सैलाब कमतौल-बसैठा पथ (एसएच 75) को लांघता हुआ बड़ी तेजी से रमौल, पनिहारा गांवों को पाटता हुआ पश्चिम की ओर फैल रहा है। बाढ़ के पानी ने गौतमकुंड, ब्रह्मपुर, रतनपुर आदि गांवों को भी प्रभावित कर दिया है। कारोबारियों ने बाढ़ आपदा को देख जरूरत के सामानों की कीमतों में काफी इजाफा कर दिया है। पांच से सात रुपये प्रति किलो बिकने वाला आलू तेरह से पंद्रह रुपये प्रति किलो बिकने लगा है। हरी सब्जियां अचानक बाजार से लुप्त हो गई हैं।सबसे बुरे हालात पशुपालकों के हैं। इन्हें न तो चारा सुलभ हो रहा है और न तेज धूप से मवेशियों के बचाने के साधन। जहरीले सांप-बिच्छुओं का भय भी इन्हें रतजगा करने को मजबूर कर दिया है। जिनके घरों में फिलहाल बाढ़ का पानी नहीं घुसा है, वे भी आशंका के तहत दहशत में जी रहे हैं। वहीं, सीमावर्ती पुपरी (सीतामढ़ी) प्रखंड क्षेत्र के हरदिया पंचायत के विक्रमपुर व रामपुर पच्चासी के बीच टूटे तटबंध से निकला बुढ़नद नदी का पानी घोघराहा गांव होते हुए जाले प्रखंड क्षेत्र में बड़ी तेजी से फैल रहा है।

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