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तटबंधों के बीच बसे गांवों के निचले हिस्से में घुसा पानी

लगातार बारिश से कमला बलान नदी के जलस्तर में वृद्धि जारी है। इसको लेकर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। दोनों तटबंधों के बीच के गांव चतरा बौराम मुशहरी बाथ बलथरी आदि गांवों के खेतों एवं निचले हिस्सों में पानी प्रवेश कर गया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Jul 2019 12:53 AM (IST)Updated: Sat, 13 Jul 2019 12:53 AM (IST)
तटबंधों के बीच बसे गांवों के निचले हिस्से में घुसा पानी
तटबंधों के बीच बसे गांवों के निचले हिस्से में घुसा पानी

दरभंगा । लगातार बारिश से कमला बलान नदी के जलस्तर में वृद्धि जारी है। इसको लेकर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। दोनों तटबंधों के बीच के गांव चतरा, बौराम मुशहरी, बाथ, बलथरी आदि गांवों के खेतों एवं निचले हिस्सों में पानी प्रवेश कर गया है। हालांकि लोगों का घर आंगन अभी सुरक्षित है। कमला नदी के गर्भ में बसे ये गांव पानी से चारों ओर से घिरे हुए हैं। बताते हैं कि नदी में 10 फुट से ऊपर पानी की वृद्धि हुई है। करीब 10 हजार की आबादी पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। मवेशी के चारे से लेकर रोजमर्रे की जरूरत के लिए अब तक एक मात्र नाव का सहारा है। प्रखंड के किसी भी घाट पर नदी पार करने के लिए सरकारी नाव का परिचालन नहीं हो रहा है। लोग अपने निजी क्षतिग्रस्त नाव से ही किसी तरह से घाट पर कर अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच रहे हैं। कोठराम गांव के पास नदी का पश्चिमी तटबंध बारिश के कारण दरक गया है। कोठराम के मो. हाशिम ने बताया कि समय रहते इस क्षतिग्रस्त बांध की मरम्मत नहीं की गई तो दर्जनों गांव में बाढ़ की चपेट आ सकते हैं। कोठराम, बौराम, अखतवार सहित तटबंध के किनारे बसे लोग दहशत में हैं। मवेशी एवं चारा लेकर नाव से लौट रहे संतोष ठाकुर, रेखा देवी, लालो देवी, बोलबम मुखिया आदि ने बताया कि सुबह में आठ बजे अपने नदी पार किया तो इतना पानी नहीं था। जलस्तर में बेतहाशा वृद्धि को देख इसकी सूचना मोबाइल पर दी तो जल्दी में किसी तरह से वापस लौटे हैं। अब इन्हें मवेशी के चारे की चिता सता रही है। ग्रामीणों ने बताया कि साहुकार से उधार रुपये लेकर नाव की खरीद की थी। इसी नाव से नदी पार कर चारा लाने जाती थी। अब तो हरियाली पानी में डूब गई है। मवेशी के चारा के लिए खूब भटकना पड़ रहा है। सिकंदर मुखिया, प्रदीप कुमार यादव ने बताया कि सरकारी बाबू आते हैं हमलोगों का दुख दर्द सुनकर जाते हैं। लेकिन कोई लाभ नहीं देते। अखतवार के नाविक सुशील कुमार सहनी ने बताया कि हमने सीओ से सरकारी नाव देने के लिए कई बार गुहार लगाई लेकिन अभी तक नावों का मुहैया नहीं करा सका। लोग किसी तरह से छोटी नाव में निर्धारित लोगों से अधिक लोग नदी पार करने पर विवश हैं। जहां हादसा का डर सताता रहता है।

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