किशोरों को भावनात्मक, मानसिक व सामाजिक रूप से शिक्षित करना हमारी जिम्मेवारी : कुलपति
किशोरावस्था में परिपक्वता उच्च नहीं होती है क्योंकि किशोरों में सैद्धांतिक ज्ञान की अपेक्षा व्यवहारिक ज्ञान की कमी होती है।
दरभंगा । किशोरावस्था में परिपक्वता उच्च नहीं होती है, क्योंकि किशोरों में सैद्धांतिक ज्ञान की अपेक्षा व्यवहारिक ज्ञान की कमी होती है। वे हमेशा दुविधा की स्थिति में रहते हैं। इस अवस्था में अभिभावकों एवं शिक्षकों के अधिक केयर की जरूरत है। हम किशोरों का हमेशा मार्गदर्शन करते रहें और समय-समय पर उन्हें उचित सलाह दें। आने वाली नई शिक्षा नीति-2019 छात्रों के मानसिक विकास पर अधिक जोर देगी। उक्त बातें कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने सीएम कॉलेज में मनोविज्ञान विभाग के तत्वावधान में आयोजित सेमिनार में कही। किशोरों का मानसिक स्वास्थ्य-स्थितियां, चुनौतियां एवं संभावनाएं विषयक सेमिनार में कुलपति ने कहा कि यदि हम उचित तरीकों से किशोरों को शिक्षित करें एवं उनका भावनात्मक विकास करें तो वे हमेशा हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप आगे बढ़ेंगे। हमारा कार्य किशोर को भावनात्मक, मानसिक व सामाजिक रूप से शिक्षित करना है। 3 से 18 वर्ष तक के बच्चे सरकार की प्राथमिकता में शामिल हैं। इससे पहले अतिथियों का स्वागत मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. नथुनी यादव ने किया। संचालन डॉ. एकता श्रीवास्तव, विषय प्रवेश आइक्यूएसी कोआर्डिनेटर डॉ. जिया हैदर व धन्यवाद ज्ञापन प्रो. विजय सिंह पांडेय ने किया।
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औद्योगिकरण के बाद तेजी से बढ़ी मनोरोगियों की संख्या : डॉ. शाही
मुख्य वक्ता के रूप में यूनेस्को क्लब ऑफ दरभंगा सिटी के अध्यक्ष डॉ. बीबी शाही ने कहा कि किशोरावस्था में क्षमता व सपनों के बीच बड़ी खाई होती है। इस भागदौड़ के जीवन में शारीरिक के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य की अधिक जरूरत है। औद्योगिकरण के बाद मनोरोगियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। किशोर अपने-आप पर विश्वास रखें, संतोषी बने, अति महत्वाकांक्षी न बने तो वे मनोरोगों से बच सकते हैं। हमारे शरीर का विकास 8 वर्ष तक 80 से 90 फीसद हो जाता है। किसी भी व्यक्ति के विकास में मात्र 10 फीसद अनुवांशिक कारण होते हैं। शेष वातावरण व उनका अपना योगदान होता है। शिक्षा को सिर्फ रोजगार का साधन मान लेने से बच्चे मनोरोगी बन रहे हैं। हर बच्चों में कुछ नैसर्गिक गुण होते हैं, जिनके विकास का अवसर मिलना चाहिए।जब अभिभावक अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से करते हैं तो बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं और अंतत: आत्महत्या को मजबूर होते हैं।
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किशोरों की मोबाइल पर बढ़ती निर्भरता खतरे का संकेत : डॉ. मुश्ताक
अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य डॉ. मुश्ताक अहमद ने कहा कि आज अत्यंत चिता की बात है कि किशोर अपना अधिक समय सृजनात्मक कार्यो में न लगा कर स्मार्ट फोन में लगा रहे हैं। छात्र संघ से आग्रह किया कि वे अपने सदस्यों को मोबाइल फोन छोड़कर अपना क्वालिटी समय पढ़ाई के साथ सृजनात्मक एवं कलात्मक कार्यो पर देने के लिए प्रेरित करें। छात्र नेताओं को अपने सदस्यों के बीच अभियान चलाकर मोबाइल की लत को दूर करना चाहिए। किशोरों का हर बात के लिए मोबाइल पर निर्भरता बढ़ते जाना हमारे लिए खतरे का संकेत है। लनामिविवि के मनोविज्ञान विभाग के प्राध्यापक डॉ. ध्रुव कुमार ने बच्चों के मनोरोगी बनने में अभिभावकों के अनावश्यक दबाव को महत्वपूर्ण कारक बताया। उन्होंने मनोरोगों से बचने के लिए किशोरों को व्यस्त रहने, मनोरंजन एवं अपने हॉबीज में मन लगाने की सलाह दी। तकनीकी सत्र में प्रो. इंदिरा झा, डॉ. आरएन चौरसिया व प्रो. अमृत कुमार झा आदि ने विस्तार से विषय पर अपने विचार रखे।
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कई निर्माण कार्य का कुलपति ने किया उद्घाटन :
कुलपति प्रो. सिंह ने सीएम कॉलेज में नवनिर्मित पोस्ट ऑफिस भवन, सेमिनार हॉल के नवीनीकरण, कर्पूरी ललित भवन के चारों ओर पक्कीकरण, छात्र विनोद कक्ष एवं क्रीड़ा भवन के नवीनीकरण का औपचारिक रूप से उद्घाटन किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय अभियंता सोहन चौधरी, प्रो. मंजू राय, डॉ. अमरेंद्र शर्मा, डॉ. प्रीति कनोडिया, प्रो. गिरीश कुमार, प्रो. नारायण झा, डॉ. सुरेश पासवान, डॉ. मो. असदुल्लाह, डॉ. अनुपम सिंह, डॉ. चंदा कुमारी, प्रो. विकास कुमार, डॉ. तानिमा कुमारी, डॉ. पीके चौधरी, प्रो. राघवेंद्र कुमार सिंह, डॉ. रुद्रकांत अमर, प्रो. डीपी गुप्ता, प्रो. सीएस मिश्रा, डॉ. अभिलाषा कुमारी, प्रो. रागिनी रंजन, डॉ. दिव्या शर्मा, डॉ. ललित शर्मा सहित कॉलेज के शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। कॉलेज की ओर से सभी अतिथियों का स्वागत पौधा देकर किया गया, जिसे बाद में कॉलेज परिसर में लगाया गया।