ब्राह्मी से डिमेंशिया का इलाज, दरभंगा के डॉक्टर ने किया शोध Darbhanga News
डीएमसीएच में एचओडी रहे डॉ. मोहन मिश्र ने 12 मरीजों पर दवा का किया सफल प्रयोग। शोध को लंदन के फ्यूचर हेल्थकेयर जर्नल ने किया प्रकाशित। रिसर्च गेट पर भी उपलब्ध।
दरभंगा, [कुमार रोशन]। विश्व में डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी पर प्रभावी और सर्वमान्य रिसर्च नहीं हो सका है। अब दरभंगा के डॉ. मोहन मिश्र ने ब्राह्मी नामक पौधे से इस बीमारी के इलाज में सफलता पाई है। उनके इस रिसर्च को ब्रिटिश जर्नल में जगह दी गई है। उन्हें कालाजार पर शोध के लिए 2014 में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल (डीएमसीएच) में मेडिसीन विभाग के एचओडी रहे डॉ. मोहन मिश्र वर्ष 1995 में सेवानिवृत्त हुए।
इसके बाद वे बंगाली टोला स्थित घर पर मरीजों को देखने लगे। इस दौरान उनके पास डिमेंशिया के कई मरीज आते थे। इसकी कोई सटीक दवा नहीं होने के चलते बहुत फायदा नहीं होता था। उनका ध्यान आयुर्वेद की तरफ गया तो ब्राह्मी के पौधे की विशेषता की जानकारी हुई। इस विषय में काफी जानकारी जुटाई। आयुर्वेद के कई चिकित्सकों से बात की। फिर इस पौधे से डिमेंशिया के इलाज पर रिसर्च का निर्णय लिया।
एक साल तक चला शोध
प्राइवेट क्लीनिक चलाने वाले डॉ. अजय कुमार मिश्र व डॉ. उदभट मिश्र के साथ जून 2015 से मई 2016 तक 12 मरीजों पर रिसर्च किया। सभी को ब्राह्मी से निर्मित दवा प्रतिदिन दो बार लगातार तीन माह तक दी गई। सभी पर बेहतर परिणाम सामने आया। यह शोध वल्र्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन में पंजीकृत हुआ है। यह रिसर्च वैज्ञानिकों व शोधकर्ताओं के प्रोफेशनल नेटवर्क 'रिसर्च गेट' पर भी उपलब्ध है। इसे लंदन के 'फ्यूचर हेल्थकेयर जर्नल' ने भी प्रकाशित किया है।
इस शोध को वे 25 व 26 जून 2018 को लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन के इनोवेशन इन मेडिसीन सम्मेलन में प्रस्तुत कर चुके हैं। डॉ. मोहन का कहना है कि शोध की अभी पायलट स्टडी की गई है। दवा के रूप में लाने के लिए सख्त प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. विनय कृष्ण यादव का कहना है कि ब्राह्मी का पौधा काफी अच्छा ब्रेन टॉनिक है। इसकी जड़, तना व पत्ते खाने से काफी फायदा होता है। आयुर्वेद में काफी समय से इसका इस्तेमाल हो रहा।