पानी पीकर ही तेज धूप में निकले, खान-पान का रखें ख्याल : डॉ. बीके सिंह
जिले में तेज धूप का कहर जारी है।
दरभंगा। जिले में तेज धूप का कहर जारी है। लोगों का घरों से निकलना मुश्किल है। बावजूद, तेज धूप की चपेट वाले मरीज अभी तक डीएमसीएच में भर्ती नहीं हुए हैं। दो विभागों के विभागाध्यक्षों ने यह दावा किया है। बताया गया है कि बुखार, सिर में दर्द आदि की शिकायत लेकर मरीज डीएमसीएच में भर्ती हो रहे हैं। इन दिनों ऐसे मरीजों की संख्या अधिक देखी जा रही है। लेकिन लू लगने वाले मरीज भर्ती नहीं हैं। शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. केएन झा और मेडिसीन विभाग के अध्यक्ष डॉ. जीएन झा ने बताया कि लू लगने वाले मरीज अभी तक उनके वार्ड में भर्ती नहीं हुए हैं। चिकित्सकों का कहना है कि यह मौसम अपने साथ रोगों की सौगात लेकर आता है। ऐसे में परहेज करके आप रोगों से बच सकते हैं। अगर परहेज नहीं किया तो लेने के देने पड़ जाएंगे। अभी काफी तेज धूप रहती है, तो कभी बारिश आ जाती है। बारिश के बाद फिर तेज धूप निकल आती है। कभी गरम हवाओं के झोंके से शरीर झुलस जाते हैं। इस तरह मौसम के उतार-चढ़ाव से वायरल बुखार, टायफायड, डायरिया, दस्त, इंसेफलाइटिस, चिकगुनिया, डेंगू, लू आदि रोगों से लोग प्रभावित होते हैं। इस तरह के रोग का प्रभाव मई से लेकर सितंबर तक रहता है। डीएमसीएच मेडिसीन विभाग के प्राध्यापक डॉ. बीके सिंह ने इन रोगों से बचाव के लिए सर्वोत्तम उपाय परहेज बताया है।
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तेज धूप में नहीं निकले :
तेज धूप में नहीं निकले। निकलना जरूरी हो तो पानी पीकर और पानी लेकर निकलें। माथे पर सूती का गमछा या टोपी पहनकर निकलें। सूती कपड़े का उपयोग करें। खाना हल्का लें। बुखार आने पर ऐसे व्यक्ति के शरीर को ठंडे पानी से पोंछे। उसे आराम से लिटाए।
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सीबीसी और क्लीनिकल जांच जरूर कराएं :
टायफायड बुखार में पारा 102 तक चला जाता है। सामान्य तापमान लाने के लिए इलाज जरूरी है। बुखार धीरे-धीरे उतरता है। बुखार के साथ रोगी का शौच सात दिन के बाद प्रभावित होने लगता है। सर्दी, खांसी और दम फूलने की शिकायत रहती है। इस रोग की जांच के लिए सीबीसी और क्लीनिकल जांच जरूर कराए।
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संक्रमित खान-पान से बचें :
संक्रमित खान पान से डायरिया और दस्त होना आम बात है। इस मौसम में ताजा सुपाच्य खाना खाएं। इसमें लूज मोसन, पतला शौच, शौच में खून आने की शिकायत रहती है। पेट में मरोड़ देकर पैखाना होता है। इसके कारण रोगी का किडनी प्रभावित होता है। इससे उपचार के लिए ओआरएस का घोल समय-समय पर दें।
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