बिना सिडिकेट की स्वीकृति के 10 करोड़ का भुगतान
दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के सिडिकेट सदस्य डॉ. हरि नारायण सिंह ने विवि प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं। डॉ. सिंह ने इस बाबत कुलपति प्रो. एसके सिंह को विरोध पत्र दिया है।
दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के सिडिकेट सदस्य डॉ. हरि नारायण सिंह ने विवि प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं। डॉ. सिंह ने इस बाबत कुलपति प्रो. एसके सिंह को विरोध पत्र दिया है। पत्र में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में नियम विरूद्ध भुगतान किए जाने का मामला उठाया है। आरोप लगाया है कि बिना सिडिकेट से पारित कराए ही दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में हाल के दिनों में 10 करोड़ से अधिक का भुगतान कर दिया गया है। यह पूरी तरह नियम के विरूद्ध है।
मनपसंद लोगों को किया गया उपकृत विरोध पत्र में नियम के विपरीत मनपसंद लोगों को उपकृत करने के लिए ऊंचे पद पर प्रोन्नति व उच्च स्केल देने की योजना बनाने का पर्दाफाश किया गया है। पत्र में कहा है कि वित्तीय मामलों में सिडिकेट से बिना पास कराए दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में वेतन को छोड़कर कोई भी भुगतान अवैध है। निदेशालय के सलाहकार परिषद की 90, 91, 92 व 93 वीं बैठकों का निर्णय अनुमोदित नहीं हुआ है। साथ ही सिडिकेट ने 88 एवं 89 वीं बैठक के कतिपय एजेंडों के प्रस्तावित भुगतान व बहाली पर रोक लगा दी थी। बावजूद पिछले एक माह में कई भुगतान जल्दबाजी में किए गए हैं। कहा कि मुद्रण मद में एक करोड़ 90 लाख 77 हजार 405 रुपये भुगतान के प्रस्ताव पर विस्तृत ब्योरा मांगा गया था। लेकिन भुगतान कर दिया गया। इसी प्रकार कई अन्य भुगतान भी कर दिए गए हैं, जो नियम विरूद्ध व अंकेक्षण की दृष्टि से आपत्तिजनक हैं। सिडिकेट की रोक को दरकिनार कर तीन बहालियां आउटसोर्स पर हाल में की गई हैं। दैनिक वेतन पर भी कई व्यक्ति रखे गए हैं। इसके अलावा बिना नियमित व स्थायी बहाली के प्रमोशन पर भी उन्होंने सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने पूर्व के कुलपति की सेवा समाप्ति के चार महीने पूर्व आए पत्र को संलग्न करते हुए कुलपति को नीतिगत निर्णय व वित्त संबंधी कोई भी अतिरिक्त भुगतान करने को आपत्तिजनक बताया। पत्र की प्रतिलिपि कुलाधिपति, शिक्षा सचिव, शिक्षा निदेशक व विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारियों एवं सिडिकेट सदस्यों को भी भेजी गई है।
निदेशक ने किया आरोपों को खारिज
इधर, अवैध भुगतान के सवाल पर दूरस्थ शिक्षा निदेशक डॉ. सरदार अरविद सिंह ने स्पष्ट कहा कि कोई भी ऐसा भुगतान नहीं किया गया, जो नियमानुकूल नहीं है।