नाव से गंगा पार कर दियारे में पहुंच रही शराब
बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद यह धंधा थमने का नाम नहीं ले रहा है। कम समय में धनवान बनने की चाहत ने इस अवैध धंधे में शामिल कारोबारियों को इस कदर अंधा बना दिया है कि वे सीमा पार यूपी के बलिया जिले से बेखौफ इसका इम्पोर्ट कर रहे हैं। विगत कुछ महीनों के अंदर तिलक राय के हाता, रामदास राय के डेरा, भरियार ओपी एवं स्थानीय थाना क्षेत्र से शराब की बरामदगी इसका ज्वलंत उदाहरण है।
बक्सर । बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद यह धंधा थमने का नाम नहीं ले रहा है। कम समय में धनवान बनने की चाहत ने इस अवैध धंधे में शामिल कारोबारियों को इस कदर अंधा बना दिया है कि वे सीमा पार यूपी के बलिया जिले से बेखौफ इसका इम्पोर्ट कर रहे हैं। विगत कुछ महीनों के अंदर तिलक राय के हाता, रामदास राय के डेरा, भरियार ओपी एवं स्थानीय थाना क्षेत्र से शराब की बरामदगी इसका ज्वलंत उदाहरण है।
सवाल है कि पुलिस की इतनी बड़ी संवेदनशीलता के बावजूद बलिया से शराब दियारे में कैसे पहुंच रही है। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो शराब माफिया स्वयं को सुरक्षित रखते हुए गरीब तबके के लोगों को पैसे का लोभ देकर क्षेत्र में इस धंधे का संचालन करा रहे हैं। इतना ही नहीं, उन्हें यह भी निर्देशित किया जाता है कि पकड़े जाने पर पुलिस को यह नहीं बताना है कि शराब माफिया कौन है।
बताते चलें कि, महावीर घाट बलिया, नरहीं, बेयासी घाट से नाव के सहारे धंधेबाज शराब की बड़ी खेप ला रहे हैं। जहां से अनुमंडल के विभिन्न गांवों में इसकी डिलीवरी होती है। इसमें दियारे की भौगोलिक स्थिति भी माफियाओं के लिए वरदान साबित हो रही है। जिसका शराब कारोबारी जमकर लाभ उठा रहे हैं। हालांकि, पैलाडीह गांव के पास से ट्रक में रखे करीब 240 पेटी, तिलक राय के हाता ओपी से 40 पेटी एवं रामदास राय के डेरा ओपी के रास्ते आ रही शराब भरी पिकअप को लहना गांव के समीप जब्त करने में पुलिस ने जो सफलता पाई थी। उससे शराब माफियाओं के बीच कुछ दिनों के लिए अफरातफरी का माहौल व्याप्त रहा। मगर क्षेत्र में पुन: उनका कारोबार पूर्व की भांति गतिमान हो गया है।