कंचनेश्वर शिवमंदिर में संत विनोबा भावे ने की थी पूजा
अनुमंडल मुख्यालय से 14 किमी दूर कंचनेश्र शिव मंदिर प्रांगण में भू-दान आंदोलन के नायक स
बक्सर। अनुमंडल मुख्यालय से 14 किमी दूर कंचनेश्र शिव मंदिर प्रांगण में भू-दान आंदोलन के नायक संत विनोबा भावे कई माह तक प्रवास कर भगवान कंचनेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना कर इनकी कृपा से सैकड़ों एकड़ भूमि दान स्वरूप लेकर गरीब भूमिहीनों के बीच वितरित किए थे। उसी समय से इस मंदिर के प्रति इलाकाई श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास जुड़ा हुआ है। श्रद्धालुओं का मानना है कि तकरीबन पांच सौ साल पहले स्थापित मंदिर में भगवान कंचनेश्वर की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। सावन में पूरे माह यहां हर-हर महादेव के जयघोष के साथ पूजा-अर्चना तथा रूद्राभिषेक की प्रक्रिया चलती है। जिससे इलाके में भक्तिरस की अविरल धारा प्रवाहित होती है।
मंदिर का इतिहास
कांव नदी के छोर पर स्थित भगवान कंचनेश्वर के संबंध में गांव के बुजुर्गो का कहना है कि वैस तो यहां उत्तर गुप्त काल की मूर्तियां भी खुदाई में मिली है, लेकिन पांच सौ साल पहले घनघोर जंगल में मौनियां बाबा नामक संत तपस्या करते थे। चरवाहों की नजर आपरूपी शिव¨लग पर गई। इसकी सूचना मिलते ही मौनियां बाबा ने बताया कि शिव¨लग है। उसी समय से पूजा-अर्चना होने लगी। सैकड़ों वर्ष बाद 1954 ई. में विनोबा भावे ने यहां प्रवास कर पूजा-अर्चना किए थे। अभी हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दर्शन करने पहुंचे थे और यहां रूद्राक्ष के वृक्षों का पौधारोपण कराए थे। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव¨लग की पूजा अर्चना की जाती है।
मंदिर की विशेषता
सावन महीने में नगर सहित इलाकाई श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। इस मंदिर में पूजा-अर्चना तथा प्राकृतिक सौन्दर्यता के बीच कुछ समय व्यतीत करने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। महाशिवरात्रि के दिन सैकड़ों साल से कंचनेश्वर शिव का वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। उस दिन यहां मेला का आयोजन भी होता है। जिसमे हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
बयान
सावन माह में कंचनेश्वर शिव मंदिर को आकर्षक तरीके से सजाया जाता है। मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि को धूमधाम से वार्षिकोत्सव मनाया जाता है। इस दौरान मंदिर के विकास के लिए इलाकाई श्रद्धालुओं का सहयोग भी मिलता है। (पं.गिरिजानंद पांडेय, वैदिक)
यहां प्रतिदिन सैकडों श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता है। किसी को कोई परेशानी न हो। इसके लिए मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के साथ ही ग्रामीणों के द्वारा विशेष व्यवस्था की जाती है। मनोकामना पूर्ण होने के लिए सावन माह में हर-हर महादेव के जयघोष से पूरा इलाका गुंजायमान होता है।
विनोद पांडेय (सदस्य, मंदिर प्रबंधकारिणी समिति)