ठाकुर जी धाम में चल रही वार्षिकोत्सव की तैयारी
अनुमंडल क्षेत्र में आस्था व विश्वास का केन्द्र बना श्रीठाकुरजी धाम कंजिया में कार्तिक पूर्णिमा को मनाए जाने वाले वार्षिकोत्सव की तैयारी जोरों पर है।
बक्सर । अनुमंडल क्षेत्र में आस्था व विश्वास का केन्द्र बना श्रीठाकुरजी धाम कंजिया में कार्तिक पूर्णिमा को मनाए जाने वाले वार्षिकोत्सव की तैयारी जोरों पर है। 17 नवंबर से यहां श्रीलक्ष्मीनारायण सह रूद्रचंडी महायज्ञ का आयोजन प्रारम्भ होगा। जबकि, आगामी 23 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्रीठाकुर जी महाराज की पूजा-अर्चना और वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के अग्रणी व वैकुंठवासी शिवशंकर चैतन्य जी महाराज के पुत्र ठुन्नू उपाध्याय ने जानकारी दी कि यहां देश के कोने-कोने से कई पीठाधीश्वरों व संत-महात्माओं की अगुवाई में शनिवार से श्रीठाकुर जी धाम के मंदिर परिसर में श्रीलक्ष्मीनारायण सह रूद्रचंडी महायज्ञ प्रारम्भ होगा। कार्तिक पूर्णिमा को दर्शन-पूजन के लिए यहां पहुंचने वाले लाखों श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो, इसके लिए धाम परिसर में साफ-सफाई एवं पहुंच मार्ग को दुरूस्त किए जाने की प्रक्रिया जोरों पर है। बताया जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा तक यहां तकरीबन इक्कीस सौ कुंतल तिल का हवन वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूरा किया जाएगा। वार्षिकोत्सव को लेकर श्रीठाकुर जी धाम के मंदिर प्रांगण को आकर्षक तरीके से सजाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मंदिर परिसर में पिछले चार दशक पूर्व से हरिनाम संकीर्तन एवं मानस पाठ की प्रक्रिया अनवरत जारी है। यहां पूरे जिले से कई चर्चित कीर्तन मंडलियों के कलाकारों ने अपनी राममयी धुन से श्रद्वालुओं को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार यहां कई विद्वान संत एवं वक्ताओं के आगमन होने की स्वीकृति मिली है। सनद रहे कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन पिछले कई दशक पूर्व से यहां श्रीठाकुरजी महाराज का वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। ठाकुर के दर्शन एवं पूजन के लिए यहां प्रतिवर्ष पूर्णिमा को तकरीबन चार से पांच लाख श्रद्वालु पगडंडियों के सहारे पहुंचते हैं।
विषैले जीव-जन्तुओं के काटने पर यहां मिलती है निजात
पूरे इलाके ही नहीं, बल्कि दूसरे प्रदेशों से यहां आने वाले श्रद्धालुओं के आस्था व विश्वास के प्रति मुख्य कारण यह है कि यहां सारी मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ ही विषैले जीव-जन्तुओं के काटने पर कंजिया धाम तक पहुंचने वाले लोग बिल्कुल ठीक होकर हंसी-खुशी पैदल चलकर अपने घर पहुंचते हैं। श्रीठाकुर जी के प्रति यहीं आस्था व विश्वास प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु भक्तजनों को यहां आकर्षित करता है।