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16 कलाओं से युक्त चांद से होगी अमृत वर्षा आज

बक्सर आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा त्योहार के रूप में मनाने की धार्मिक परंपरा प

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 05:32 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 03:53 AM (IST)
16 कलाओं से युक्त चांद से होगी अमृत वर्षा आज
16 कलाओं से युक्त चांद से होगी अमृत वर्षा आज

बक्सर : आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा त्योहार के रूप में मनाने की धार्मिक परंपरा पौराणिक है। कहते हैं कि इस पूर्णिमा का चन्द्रमा, सोलह कलाओं से युक्त होता है। इस दौरान चन्द्रमा से निकलने वाली किरणों कि प्रभा में अनोखी चमत्कारी शक्ति निहित है। जो सभी प्रकार के रोगों को हरने की क्षमता रखती है।

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मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात अमृत वर्षा होती है। इसमें श्रद्धालु खुले आकाश तले खीर बना कर रखते हैं। जिसे दूसरे दिन भक्त प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है। इस बाबत कथा वाचक डॉ.रामनाथ ओझा का कहना है कि शरद पूर्णिमा शुक्रवार को है और शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि इस खीर के सेवन करने से मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इधर, पुलिया गांव के अमित राय ने बताया कि दो साल पहले तक इस दिन में खुले आकाश में खीर रखकर खाने की परंपरा से वे अनभिज्ञ थे। लेकिन, पत्नी के आने के बाद से यह परम्परा कायम हो गई है। उन्होंने कहा कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में यह खीर उपयोगी हो या न हो। लेकिन जो स्वाद इस दौरान बने खीर में मिलता है वो पूरे साल बनने वाले खीर में नहीं मिलता। दूसरी ओर आयुर्वेदाचार्य (पं.) श्याम बिहारी मिश्र बताते हैं कि इस रात्रि चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और इस दौरान अंतरिक्ष के समस्त ग्रहों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा चंद्रकिरणों के माध्यम से पृथ्वी पर पड़ती है। इस कारण खुले आसमान के नीचे रखे खीर में चंद्रमा के औषधीय गुणों से युक्त किरणें पड़ने से यह अमृत के समान हो जाता है। जिसका सेवन किया जाना धार्मिक व वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोण से स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है।


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