खपरैल मकान में गुजारा करता है पूर्व बीडीसी का परिवार
बक्सर मौजूदा व्यवस्था के बीच जहां आमतौर पर जन प्रतिनिधि चुने जाते ही नई-नई बाइक और चार चक्क
बक्सर : मौजूदा व्यवस्था के बीच जहां आमतौर पर जन प्रतिनिधि चुने जाते ही नई-नई बाइक और चार चक्का वाहनों की खरीद करने लगते हैं, वहीं वर्ष 2000 में पहली बार मुरार पंचायत के भाग नंबर एक ठोरी पांडेयपुर से पंचायत समिति सदस्य बनी लालसा देवी के परिवार के लोग आज भी खपरैल मकान में प्लास्टिक तानकर गुजारा करते हैं। तीन साल पहले पूर्व बीडीसी स्वर्ग सिधार गई लेकिन भारत सरकार के अनुसूचित जाति का तमगा लेकर घुम रहे परिजनों के दर्द पर किसी प्रतिनिधि या सरकारी मुलाजिमों ने आज तक मरहम लगाने का प्रयास नहीं किया।
इन दिनों प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत प्लास्टिक तानकर जीवन गुजारने वाले असहाय व गरीब परिजनों को आवास मुहैया कराने के लिए मुहिम चल रहा है। इसके बावजूद भी बहुतेरे ऐसे परिवार हैं जो प्लास्टिक तानकर जिन्दगी गुजार रहे है। आवास विहीन परिवार के लोग अधिकारियों के यहां दौड़ लगा कर थक चुके है, जबकि निचले स्तर पर आवास सहायक से लेकर अधिकारी तक सिस्टम की बात कर रहे हैं। आवास के अभाव में प्लास्टिक तानकर जीवन गुजार रही पूर्व महिला प्रतिनिधि की बहू सुनीता देवी और रेखा देवी का कहना है कि आज तक इन लोगों को आवास योजना का लाभ इसलिए नहीं मिला कि इनके पास न तो पैरवी है और न अधिकारियों तक खुद को असहाय साबित करने की क्षमता। नतीजतन कई ऐसे परिवार है जिनका दिन तो कट जाता है, लेकिन बारसात में आसमान से टपकती बारिश और मिट्टी के मकान में दबकर मरने की चिता नींद हराम कर देती है।
फटेहाल जिदगी जी रहे परिजनों की टीस
मुरार पंचायत के वार्ड नंबर सात अनुसूचित बस्ती में रहने वाले परिवार के लोग अधिकारियों की नजर में भले ही अमीर है, लेकिन सच्चाई यह है कि खपरैल मकान में जीवन गुजार रहे परिजन हमेशा काल से संघर्ष कर रहे है। फिलहाल इस परिवार का मुख्य पेशा मजदूरी के सहारे भरण पोषण करना है। परिवार के लोगों का कहना है कि आवास के लिए कई साल से पंचायत प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के यहां दौड़ लगाकर थक चुके है, लेकिन आज तक आश्वासनों के सिवाय कुछ नहीं मिला।
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यह मामला गंभीर है और इसकी जांच कराई जाएगी। प्रधानमंत्री आवास योजना की सूची में इनका नाम होगा तो निश्चित रूप से आवास योजना का लाभ मिलेगा।
तेजबहादुर सुमन, बीडीओ, चौगाईं