श्रीलंका के लोग सीता, सीते अम्मा, सीता देवी, सीतालक्ष्मी रखते हैं बेटियों के नाम; रावण की अशोक वाटिका आज भी है
श्रीलंका में आज भी हैं भगवान राम और माता सीता से जुड़ी स्मृतियां। वहां के लोगों में है माता सीता के प्रति खूब सम्मान। रावण की अशोक वाटिका अब सीता वाटिका और सीता एलिया (ज्योति) कही जाती। आरएसएस की शाखा भी लगती है।
जागरण संवाददाता, बक्सर। श्रीलंका में रावण ने माता सीता को जहां रखा था, पहले वह अशोक वाटिका थी, अब उसे सीता वाटिका का नाम दे दिया गया है। इसे सीता एलिया भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है सीता ज्योति। यह श्रीलंका के नोवारेलिया जिले में है। राजधानी कोलंबो से पांच घंटे की यात्रा कर यहां पहुंचा जाता है। यह महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र है। इसे देखने भारत से श्रद्धालुओं का जत्था प्रतिवर्ष आता है।
बक्सर पहुंचीं श्रीलंका की धर्म प्रचारक
श्रीलंका में लोग अपनी बेटियों के नाम सीता, सीते अम्मा, सीता देवी, सीतालक्ष्मी रखते हैं। ये बातें श्रीलंका से सनातन संस्कृति समागम में पहुंचीं धर्म प्रचारक सिननैय्या धनलक्ष्मी ने जागरण से विशेष बातचीत में कही। धनलक्ष्मी श्रीलंका से दिल्ली विश्वविद्यालय में समाज विज्ञान की पढ़ाई करने आईं थीं। इसके बाद उनका रुझान हिंदू धर्म और संस्कृति की ओर हुआ।
श्रीलंका में भी आरएसएस का काम
इसी दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव हुआ और भारत में दस साल तक कार्य किया, फिर स्वदेश लौटकर आरएसएस की इकाई की नींव डालीं। कहा, आरएसएस से जुड़ने के बाद श्रीराम धुन में मन रम गया। तब से अब तक धर्म के प्रचार प्रसार में विभिन्न देशों का भ्रमण कर रही हैं।
श्रीलंका में हर वर्ष निकलती है श्रीराम शोभायात्रा
सिननैय्या धनलक्ष्मी ने बताया कि हर साल 15 दिसंबर से मकर संक्रांति तक श्रीलंका की गली-गली में श्रीराम की शोभायात्रा निकाली जाती है। जिस तरह इस्कान भक्त हरे कृष्णा हरे कृष्णा गाकर भजन कीर्तन करते हैं, उसी शैली में प्रातः चार बजे से एवं सायंकाल चार बजे से हरे रामा हरे रामा जपा जाता है। वहां श्रीराम के बड़े मंदिर तो नहीं हैं, परंतु छोटे मंदिरों की संख्या बहुत है। लोग अपने पुत्रों के नाम राम, रामराज, रामकुमार, रामबालक, शिवराम रखकर श्रीराम को मन मंदिर में बसाए हैं।
प्रकांड विद्वान व शिवभक्त माने जाते रावण
सिननैय्या धनलक्ष्मी ने बताया कि श्रीलंका के लोगों में रावण के बारे में समभाव है, न सकारात्मक और न ही नकारात्मक। उन्हें प्रकांड विद्वान, शिवभक्त के रूप में जाना जाता है। कहा कि केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने जो विराट सनातन संस्कृति समागम का आयोजन किया है, इससे श्रीलंका के निवासी अभिभूत हैं। मैं श्रीलंका के रामभक्तों की ओर से उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती हूं और आशा करती हूं कि आयोजन प्रतिवर्ष होता रहेगा।