सतुआन पर श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी
मेष संक्रान्ति को मनाया जाने वाला सतुआन पर्व रविवार को जिले भर में धूमधाम से मनाया गया। दूरदराज से हजारों की तादाद में श्रद्धालु रामरेखाघाट पहुंचे तथा गंगा में आस्था की डुबकी लगाई।
बक्सर । मेष संक्रान्ति को मनाया जाने वाला सतुआन पर्व रविवार को जिले भर में धूमधाम से मनाया गया। दूरदराज से हजारों की तादाद में श्रद्धालु रामरेखाघाट पहुंचे तथा गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। वहीं, मंदिर में दर्शन-पूजन के पश्चात दान-पुण्य किए और खुद सत्तू का सेवन किए। इधर, मनीषियों ने बताया कि आज सोमवार को कामदा एकादशी है। इसके व्रत किए जाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सतुआन त्योहार भगवान सूर्य का मीन से मेष राशि में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में मनाने की परंपरा है। इस बाबत पतालेश्वरनाथ महादेव मंदिर के पुजारी रामेश्वरनाथ पंडित ने बताया कि आज रविवार की शाम 4 बजे भगवान भास्कर का मीन से मेष राशि में संक्रमण हो गया। परन्तु, धर्म शास्त्र में इस बात का उल्लेख मिलता है कि संक्रमण काल से बीस घटी, यानी आठ घंटे पहले और दस घटी, यानी चार घंटे बाद तक पुण्य काल का योग रहता है। सो सुबह आठ बजे के बाद से सूर्यास्त तक संक्रांति का मुहूर्त शास्त्र सम्मत होने से इस समय सीमा के अंदर स्नान-दान, पूजा-पाठ, जप-तप आदि आध्यात्मिक एवं सत्कर्म कार्य किए गए। जो सर्व फलदायी था। वहीं, आचार्य ने बताया कि सोमवार को कामदा एकादशी व्रत स्नान का योग है। इस दिन गंगा स्नान करने, व्रत करने एवं ब्राह्मणों को दान करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। श्रद्धालुओं ने किया स्नान एवं दान हालांकि, सतुआन पर्व को लेकर रविवार की तड़के से ही रामरेखाघाट से लगायत अन्य घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई थी। दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों से भी श्रद्धालु गंगा स्नान को पहुंचे हुए थे। गंगा स्नान एवं दान-पुण्य का सिलसिला दोपहर तक जारी था। इस दौरान श्रद्धालु महिलाओं ने पहले गंगा के पवित्र जल धारा में स्नान की और फिर मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद दान-धर्म किया। स्नान एवं दान का महत्व आचार्यों के मुताबिक मेष संक्रान्ति में स्नान-दान का काफी महत्व है। इससे धन, सुख, ऐश्वर्य, शांति, निरोगता, बल, बुद्धि एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर सत्तू, आम, गुड़, घी, पंखा, मिट्टी के बर्तन, ठंडा जल, छाता, अन्न दान एवं पंचांग दान करने का विधान है। सो यथा शक्ति श्रद्धालुओं ने इन वस्तुओं का दान किया।