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अक्षर की ताकत पहचान कैदी भर रहे सपनों की उड़ान

बक्सर रमेश (काल्पनिक नाम) का यह सपना था कि वह सरकारी अधिकारी बन देश तथा समाज की सेवा

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 09:49 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 09:49 PM (IST)
अक्षर की ताकत पहचान कैदी भर रहे सपनों की उड़ान
अक्षर की ताकत पहचान कैदी भर रहे सपनों की उड़ान

बक्सर : रमेश (काल्पनिक नाम) का यह सपना था कि वह सरकारी अधिकारी बन देश तथा समाज की सेवा करे लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। हत्या के प्रयास मामले में रमेश को सजा हो गई और अब वह केंद्रीय कारा में अपनी सजा काट रहा है। जेल हो जाने के बाद रमेश का सपना भले ही चकनाचूर हो गया हो, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। वह अब जेल में अपनी स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी कर रहा है, जिससे दो साल बाद जेल से बाहर आने के बाद वह बेहतर जीवन यापन कर सके।

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रमेश के जैसे कई बंदी हैं जो जेल में रहते हुए अपना सपना पूरा करने की इच्छा रखते हैं। इसी इच्छा के तहत वह केंद्रीय कारा में अपनी पढ़ाई जारी रखे हुए हैं। दरअसल, कारा एवं सुधार विभाग के द्वारा मूल रूप से जेलों को सुधार गृह में तब्दील कर दिया गया है। यहां आने वाले कैदी निकलने के बाद सामान्य जिदगी जी सकें इसके लिए कई तरह के स्वरोजगार प्रशिक्षण के साथ-साथ शैक्षणिक योग्यता को बढ़ाने के लिए भी अवसर प्रदान किया जा रहा है। दूरस्थ शैक्षणिक संस्थानों यथा एनओआइएस इग्नू तथा नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी जैसे शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन करा कर कैदी भी अब अपनी पढ़ाई को जारी रखे हुए हैं।

छह कैदियों ने लिया है पीजी में,15 स्नातक के छात्र

कारा प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्रीय कारा में सजा काट रहे बंदियों में छह स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं। इसके साथ ही 15 कैदी स्नातक, 31 इंटरमीडिएट एवं 30 कैदी मैट्रिक की पढ़ाई कर रहे हैं। पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई करने वाले कैदी लोक प्रशासन और मास कम्यूनिकेशन जैसे विषय भी रख रहे हैं। उन्हें पढ़ाने के लिए ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था की गई है। यही नहीं जेल में आने वाले हर व्यक्ति को साक्षर बनाने की भी पहल की जा रही है। जो कैदी जो स्वयं दूरस्थ शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं, जेल में बंद तकरीबन 250 से 300 सौ निरक्षर कैदियों को साक्षर बनाने में भी योगदान दे रहे हैं।

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जेल में कैदियों के सुधार एवं उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिन में शैक्षणिक तथा और रोजगार परक प्रशिक्षण भी शामिल हैं। उद्देश्य है कि सजा पूरी करने के बाद कैदी मुख्यधारा में जुड़कर अपनी आगे की जिदगी जी सकें।

राजीव कुमार, कारा अधीक्षक, केंद्रीय कारा।


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