Move to Jagran APP

जब बारिश ने बचा ली दसानन की जान! बिहार के इस गांव में विजयादशमी को भूलकर भी नहीं करते रावण दहन

Ravan Vadh 2022 विजयादशमी पर भारत ही नहीं दुनिया के कई दूसरे देशों में भी रावण का पुतला जलाए जाने की परंपरा है। लेकिन बिहार के बक्‍सर जिले का यह गांव इसका अपवाद है। यहां रावण दहन की अलग ही परंपरा है।

By Ashok Kumar SinghEdited By: Shubh Narayan PathakPublished: Wed, 05 Oct 2022 12:21 PM (IST)Updated: Wed, 05 Oct 2022 12:21 PM (IST)
जब बारिश ने बचा ली दसानन की जान! बिहार के इस गांव में विजयादशमी को भूलकर भी नहीं करते रावण दहन
Ravan Dahan 2022: इटाढ़ी के कुकुढा में दशहरा के पांच दिन बाद तक जिंदा रहता है रावण। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

अशोक सिंह, बक्सर। Rawan Vadh Unique Tradition: विजयादशमी के दिन रावण वध के आयोजन की परंपरा भारत के लगभग हर बड़े शहर और कई गांवों में भी है। लेकिन, इसके कई अपवाद भी हैं। कुछ जगहों पर रावण की पूजा भी होती है। बिहार का भी एक गांव ऐसा है, जहां रावण वध का आयोजन विजयादशमी के दिन नहीं होता है।

loksabha election banner

विजयादशमी के दिन नहीं होता रावध वध 

उत्‍तर प्रदेश के वाराणसी की तरफ से दाखिल होकर पटना आने के रास्‍ते में बिहार का बक्‍सर जिला पड़ता है। बक्‍सर के इटाढ़ी प्रखंड का एक गांव है कुकुढ़ा। यहां विजयादशमी के दिन रावण का वध नहीं होता है। बल्‍क‍ि विजयादशमी के पांच रोज गुजरने पर शरद पूर्णिमा के दिन यहां रावण वध का आयोजन किया जाता है। 

लंबे अरसे से चली आ रही अनोखी परंपरा

कुकुढा में विजयादशमी के पांच दिन बाद तक रावण जिंदा रहता है। दशहरा बीत जाने के पांच दिन बाद पूर्णिमा के दिन यहां पूरे धूमधाम के साथ रावण वध का आयोजन किया जाता है। गांव के बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि कुकुढ़ा में लंबे अरसे से यह परंपरा चली आ रही है, जिसका आज भी गांव के लोग चाहे जहां कहीं भी रहें, पालन करते चले आ रहे हैं।

परंपरा की वजह किसी को नहीं पता 

इस परंपरा के पीछे क्या कारण है यह किसी को जानकारी नहीं है। गांव की हर पीढ़ी अपने दादा परदादा के समय से परम्परा का पालन करते देखते आ रहे हैं, जिसका मौजूदा पीढ़ी भी अनुसरण करती चली आ रही है। परम्परा के अनुसार यहां शरद पूर्णिमा को ही भगवान राम बाण चलाते हैं और रावण का वध होता है। 

प्राथमिक विद्यालय के मैदान में होता आयोजन 

इसके लिए रामलीला समिति द्वारा गांव के अनुसूचित जाति प्राथमिक विद्यालय के मैदान में 35 फीट का रावण तैयार किया गया है। शरद पूर्णिमा की शाम गांव के बच्चे से लेकर बुजुर्ग नए नए वस्त्र पहनकर स्कूल मैदान में रावण वध कार्यक्रम मेला में शामिल होने और उत्सव का आनन्द लेने पहुंचते हैं।

बारिश ने बचा ली रावण की जान 

कुकुढ़ा के रहने वाले संजय सिंह बताते हैं कि शरद पूर्णिमा के एक दिन पहले गांव में पुतला बनाने की तैयारी शुरू होती है। कई बार ऐसा हुआ कि मौसम खराब होने के कारण रावण वध का कार्यक्रम टालना पड़ गया। एक बार तो ऐसा हुआ कि खराब मौसम के कारण रावण वध का कार्यक्रम टाल कर नई तारीख तय की गई, लेकिन उस दिन भी बारिश हो गई। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.