व्यवहार न्यायालय का डिजिटलीकरण शुरू, लगाए गए एलईडी स्क्रीन
Þफलां व्यक्ति हाजिर हो!Þ की गूंज अब व्यवहार न्यायालय में नहीं सुनाई देगी, डिजिटल जमाने में न्यायिक कार्य भी अब पूर्ण रूपेण डिजिटल तरीकों से किए जाएंगे। इसी क्रम में सोमवार को व्यवहार न्यायालय में प्रत्येक न्यायालय के
जागरण संवाददाता, बक्सर : फलां व्यक्ति हाजिर हो! की गूंज अब व्यवहार न्यायालय में नहीं सुनाई देगी, डिजिटल जमाने में न्यायिक कार्य भी अब पूर्ण रूपेण डिजिटल तरीकों से किए जाएंगे। इसी क्रम में सोमवार को व्यवहार न्यायालय में प्रत्येक न्यायालय के एलईडी डिजिटल स्क्रीन लगाए गए। बताया जा रहा है कि संबंधित न्यायालय में मुकदमों की जानकारी तथा अपनी पारी आने की प्रतीक्षा करने के दौरान न्यायालयों तथा न्यायालयों के बाहर अत्याधिक भीड़ जमा हो जाती थी जिसके चलते शोर-शराबे के बीच मुकदमों की सुनवाई के दौरान परेशानी होती थी। हालांकि, इस तकनीक के कारण अब लोगों को संबंधित न्यायालय के समक्ष खड़े होकर अपनी पारी का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। बैंकों की तर्ज पर डिस्प्ले में होगी प्रतीक्षा सूची बताया जा रहा है व्यवहार न्यायालय में न्यायालय कक्ष के बाहर लगाए गए डिस्प्ले पर मुकदमों से संबंधित तारीखें व अन्य सूचनाएं तो प्रदर्शित होंगी ही साथ ही साथ सुनवाई के लिए इंतजार कर रहे लोग अपना क्रम भी देख सकेंगे। उनका क्रम आते हैं उनका नंबर डिस्प्ले पर प्रदर्शित होने लगेगा। सुप्रीम से होगी व्यवहार एवं अनुमंडल न्यायालय की ऑनलाइन मॉनीट¨रग विश्वस्त न्यायिक सूत्रों के मुताबिक न्यायिक कार्यों में पारदर्शिता लाने तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए यह सारी कवायद उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर की जा रही है। व्यवहार न्यायालय को नेशनल जुडिशियल डेटा ग्रिड से जोड़ा जाना है, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट सीधे तौर पर व्यवहार न्यायालय की मॉनिट¨रग कर सकेगा। इसके लिए नियमित रूप से मुकदमों संबंधित सभी जानकारियों को वेबसाइट पर अपलोड की जा रही है। किसी भी मुकदमे से संबंधित समूची जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करने से जहां मुवक्किल को सुविधा होगी, वहीं किस न्यायालय में कितने मुकदमे निष्पादित किए गए, अथवा कितने मामले लंबित है, इसकी निगरानी भी न्यायालय द्वारा जा सकेगी। एसएमएस के द्वारा दी जाएगी मुकदमों से संबंधित जानकारी सुनवाई के दौरान मुकदमे की हर गतिविधि अब घर बैठे भी जानी जा सकेगी। संबंधित पक्षकारों को एसएमएस के द्वारा न्यायालय उनके मामले से संबंधित सुनवाई की जानकारी के साथ ही न्यायालय के अनावश्यक चक्कर लगाने से मुक्ति मिलेगी। ऐसे में जिस पक्ष की सुनवाई होगी केवल वही पक्ष न्यायालय में उपस्थित होगा। दूसरे पक्ष के न्यायालय में आने की कोई जरूरत नहीं होगी। हालांकि, इसके लिए उन्हें अपना मोबाइल नंबर न्यायालय में दर्ज कराना होगा। बयान: इस तरह की व्यवस्था से न्यायिक कार्यो में पारदर्शिता आएगी, साथ ही साथ मुवक्किल को भी अनावश्यक भाग दौड़ से होने वाली परेशानियों से राहत मिलेगी। न्यायालय का यह कदम स्वागत योग्य है। गणेश ठाकुर, महासचिव, अधिवक्ता संघ।