Move to Jagran APP

पीएचईडी के प्रधान सचिव ने किया जलशोध संस्थान का निरीक्षण

में निर्माणाधीन जलशोध संस्थान का लाभ सिर्फ अंचल के 51 गांवों को ही मिलेगा। शेष अन्य को प्रदूषित जल से निजात पाने के लिए इसके संवाहक स्त्रोतों पर ही निर्भर रहना पड़ेगा। अंचल कार्यालय से प्राप्त आकड़ों पर गौर किया जाए तो क्षेत्र में

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 07:13 PM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 07:20 PM (IST)
पीएचईडी के प्रधान सचिव ने किया जलशोध संस्थान का निरीक्षण
पीएचईडी के प्रधान सचिव ने किया जलशोध संस्थान का निरीक्षण

बक्सर : प्रखंड क्षेत्र के केशोपुर में वर्षों से बंद पड़े जलशोध संस्थान के पुन: निर्माण कार्य शुरू होने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। रविवार को लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के प्रधान सचिव जितेन्द्र श्रीवास्तव के नेतृत्व में विभागीय अधिकारियों की टीम ने जलशोध संस्थान का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया।

loksabha election banner

इस दौरान प्रधान सचिव ने वर्षो से बंद पड़े निर्माण कार्य पर असंतोष व्यक्त करते हुए कार्यपालक अभियंता की जमकर क्लास ली। उन्होंने कहा कि सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना का इस रूप में ²ष्टिगत होना चिता का विषय है। हालांकि, कार्यपालक अभियंता ने बताया कि मामला लोक वित्त समिति के विचारार्थ है। वहां से स्वीकृति मिलते ही डीपीआर तैयार कर टेंडर निकाला जाएगा। इस मौके पर जिला पदाधिकारी राघवेंद्र सिंह, अनुमंडल पदाधिकारी हरेन्द्र राम, प्रखंड विकास पदाधिकारी अजय कुमार सिंह, थानाध्यक्ष रंजीत कुमार व केशोपुर पंचायत के मुखिया संतोष वर्मा सहित लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के कई अधिकारी मौजूद थे।

बताते चलें कि, 30 जून 2009 में सिमरी प्रखंड के आर्सेनिक प्रभावित गॉवों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए केशोपुर में केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से सवा सौ करोड़ की जलशोध संस्थान परियोजना का शुभारंभ किया गया था। मगर इसके लिए नामित कार्य ऐजेंसी आईवीआरसीएल, हैदराबाद की ढुलमुल रवैये से आज तक इस परियोजना पर मात्र तीस फीसद ही काम हो पाया है। जबकि, वर्ष 2012 मे ही इसका निर्माण कार्य पूरा कर लेने का समय निर्धारित था। परन्तु वह साकार नहीं हो पाया। परियोजना के शुरू होने से सिर्फ 51 गांव होंगे लाभान्वित

केशोपुर में निर्माणाधीन जलशोध संस्थान का लाभ सिर्फ अंचल के 51 गांवों को ही मिलेगा। शेष अन्य को प्रदूषित जल से निजात पाने के लिए इसके संवाहक स्त्रोतों पर ही निर्भर रहना पड़ेगा। अंचल कार्यालय से प्राप्त आकड़ों पर गौर किया जाए तो क्षेत्र में 87 चिरागी गांव हैं। परन्तु जल शोध संस्थान के माध्यम से मात्र 51 गांवों मे ही वाटर सप्लाई किया जाएगा। ऐसी स्थिति मे 36 गांवों के लोगों को आर्सेनिक युक्त दूषित जल ग्रहण करने से मुक्ति नही मिलेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.