माया ईश्वर की ही शक्ति का नाम है : कृतिका भारद्वाज
इस संसार में ऐसा कोई भी नहीं है, जो माया को जीत सके। क्योंकि माया ईश्वर की ही शक्ति का नाम है। माया भी अनंत है। उक्त बातें सुश्री कृतिका भारद्वाज ने मंगलवार को सिमरी दुधीपट्टी गांव स्थित मां कालरात्रि के मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ में प्रवचन के दौरान कही।
बक्सर । इस संसार में ऐसा कोई भी नहीं है, जो माया को जीत सके। क्योंकि माया ईश्वर की ही शक्ति का नाम है। माया भी अनंत है। उक्त बातें सुश्री कृतिका भारद्वाज ने मंगलवार को सिमरी दुधीपट्टी गांव स्थित मां कालरात्रि के मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ में प्रवचन के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि गीता में अर्जुन भी यहीं कहते हैं कि कृष्ण आपकी कृपा से ही ज्ञान हुआ एवं अज्ञान सदा के लिए समाप्त हो गया। चूंकि, आत्मसमर्पण से ही माया निवृत्ति एवं भगवत कृपा का लाभ हो सकता है। जो जीवात्मा शरणागत हो गई। वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेती है। जो शरणागत नहीं हुई, उन पर ईश्वर की कृपा नहीं होती है और वे 84 लाख योनियों में चक्कर लगाती है। कथा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि भगवत कृपा प्राप्त करने के लिए समर्पण एवं शरणागत होने की आवश्यकता है। इस सृष्टि में ऐसा जिसने भी किया, वह हरि कृपा से परम धाम को प्राप्त हुआ। चूंकि, प्रभु की कृपा अमूल्य है, जो वस्तु ईश्वर देते हैं, वह दिव्य है और जो मूल्य जीव देगा वह प्राकृत। भगवान स्वयं गीता में भी कहते हैं'सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरण ब्रज'अर्थात अर्जुन तू ही धर्म अधर्म को छोड़कर केवल मेरी शरण में आ जा। बंधन एवं मुक्ति का कारण केवल मन ही है। अत: हमें मन को ईश्वर के शरणागत करना है। बताते चलें कि, इस महायज्ञ को लेकर क्षेत्रीय लोगों में अदम्य उत्साह व्याप्त है। मंगलवार को यज्ञ मंडप परिक्रमा करने के लिए उमड़ी हजारों लोगों की भीड़ इसकी प्रामाणिकता सिद्ध कर रही थी। श्रद्धालुओं की सेवा में तत्पर कमेटी के सदस्य लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के दौरान श्रद्धालुओं को पूजन-अर्चन एवं कथा श्रवण के दौरान किसी भी प्रकार की परेशानी न हो। इसके लिए महायज्ञ आयोजन समिति के सदस्य न सिर्फ तत्पर दिखाई दिए। बल्कि, श्रद्धालुओं की सेवा में भी लगे हुए हैं। रामदास राय, दयाशंकर राय, उमेश राय, चंद्रदीप चौबे, रामावतार राय, अशोक राय, छोटक पांडे सहित कई लोगों ने बताया कि समिति सदस्यों को निर्देशित किया गया है कि श्रद्धालुओं को हर सुविधा मुहैया कराई जाए। ताकि, उन्हें किसी भी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े। स्वामी जी महाराज के दर्शन को बेताब थे लोग अनंत विभूषित नरहट श्रीवैष्णव सिद्ध पीठाधीश्वर स्वामी रंगनाथाचार्य जी महाराज की एक झलक पाने को लोग बेताब थे। मां कालरात्रि मंदिर परिसर में बनी स्वामी जी महाराज की कुटिया के बाहर दोपहर बाद तक उनके दर्शन के लिए सैकड़ों लोग जमा थे। हालांकि, देर से ही सही सबको स्वामी जी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस दौरान स्वामी जी महाराज के जयघोष से पूरा मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा।