अयोध्या से झूमते-गाते बक्सरधाम पहुंचे जनकपुर के पाहुन
कलियुग की इस धरती पर त्रेता युग की बारात शनिवार की शाम अवतरित हुई। यहां पहुंचे दो रथों में प्रभु श्रीराम लखन भरत व शत्रुघ्न के विग्रह के साथ स्वरूप भी मौजूद हैं। बारात में शामिल सन्तों का काफिला ढोल-नगाड़ों की धाप पर नृत्य करते दिखे।
बक्सर : अयोध्या से झूमते-गाते हुए जनकपुर के पाहुन शनिवार की शाम जब बक्सर धाम पहुंचे तो पूरा शहर राममय हो गया और जय श्रीराम के गगनभेदी नारे लगने लगे। दरअसल, अयोध्या से चलकर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की बारात शनिवार की शाम बक्सर पहुंची। यहां पहुंचे दो रथों में प्रभु श्रीराम, लखन, भरत व शत्रुघ्न सवार थे। बारात में शामिल सन्तों का काफिला ढोल-नगाड़ों की धाप पर नृत्य करते दिखे।
बारातियों का काफिला वीर कुंवर सिंह सेतु के रास्ते गाजे-बाजे के साथ नगर में प्रवेश किए। इसके लिए पुल की बैरिकेटिग खोल दी गई थी। बारात में शामिल सन्तों का उत्साह देखते ही बन रहा था। उनका यह कारवां शहर के विभिन्न मोहल्लों के रास्ते होते हुए देर रात स्टेशन रोड स्थित बसांव मठिया पहुंचा। जहां गुरु रज को अयोध्या के लला ने रात्रि विश्राम लिया है। बारात में शामिल आयोजकों ने बताया कि यह बारात 28 तारीख को नेपाल के जनकपुर पहुंचेगी। जहां 1 दिसंबर को प्रभु श्रीराम का माता जानकी के साथ पाणि-संस्कार की रस्म निभाई जाएगी। इसके उपरांत 2 दिसंबर को जनकपुर में ही कुंवर कलेवा होगा। इस बाबत श्रीराम बारात स्वागत कार्यक्रम के संयोजक शिवजी खेमका ने बताया कि वैसे तो विश्व हिदू परिषद राम-विवाह समारोह का आयोजन प्रत्येक पांच साल में करती है। परन्तु, अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद विहिप ने पहली बार इतना बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया है। नगर में श्रीराम रथ के आगमन को देखकर बक्सरवासी भी काफी खुश थे। जिस रास्ते बारात गुजर रही थी वह इलाका श्रीराम के जयघोष से गूंज रहा था। जगह-जगह लोगों द्वारा पुष्प की वर्षा की जा रही थी। वहीं, लोगों ने भगवान की आरती भी उतारी। जिससे पूरा माहौल रमणीय व राममय हो गया था। इस मौके पर वहिप के जिलाध्यक्ष कन्हैया पाठक, भाजपा के जिलाध्यक्ष राणा प्रताप सिंह, सुशील राय, चंदन पांडेय, रतन केजरीवाल और प्रियरंजन आदि मौजूद थे।
प्रभु श्रीराम की शिक्षा स्थली रही है बक्सर
अयोध्या में जन्में द्वय भाई प्रभु राम व लखन की शिक्षा-दीक्षा बक्सर (सिद्धाश्रम) में हुई है। धर्म शास्त्रों के अनुसार त्रेता युग में 88 हजार ऋषि-मुनियों की तपोस्थली सिद्धाश्रम की यह भूमि रही है। तब तत्कालीन समय में राक्षसों द्वारा ऋषि-मुनियों की तप को विध्वंस कर दिया जा रहा था। इससे परेशान होकर महर्षि विश्वामित्र ने इन द्वय पुत्रों को राजा दशरथ से आग्रह स्वरूप बक्सर लेकर पहुंचे थे। जिन्हें अस्त्र-शस्त्र की विद्या से अवगत कराया और मिरिच, सुबाहु जैसे आतंक कर रहे राक्षसों का संहार किया।
बक्सर से ही प्रभु श्रीराम का जनकपुर में हुआ था प्रवेश
प्रभु श्रीराम की शोभा यात्रा यदि इधर से गुजरे और बक्सर न पहुंचे तो उसे अधूरी ही मानी जायेगी। जब बारात की बात हो तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। क्योंकि, बताया जाता है कि प्रभु श्री राम अपने अनुज लक्ष्मण व गुरु महर्षि विश्वामित्र के संग यही से माता सीता के स्वंयम्बर को कूच किए थे। जहां प्रभु श्रीराम द्वारा शिवजी के धनुष को खंडित किए जाने के बाद मां जानकी ने उनका वरण किया था।