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हमारा गुरु चरणन में लागल पिरितिया..

बक्सर हमारा गुरु चरणन में लागल पिरितिया. के भक्ति गायन से श्री सीताराम विवाह महोत्सव स्थल प

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Jul 2022 05:33 PM (IST)Updated: Wed, 13 Jul 2022 05:33 PM (IST)
हमारा गुरु चरणन में लागल पिरितिया..
हमारा गुरु चरणन में लागल पिरितिया..

बक्सर : हमारा गुरु चरणन में लागल पिरितिया. के भक्ति गायन से श्री सीताराम विवाह महोत्सव स्थल पर बुधवार को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर शिष्यों का अपने गुरु के प्रति आस्था की धारा बह रही थी। एक ओर आश्रम के महंत श्री राजाराम शरण महाराज ने साकेतवासी श्री नारायण दास भक्तमालि की प्रतिमा और चरण पादुका का विधिवत वंदन व पूजन-अर्चन किए। वहीं, साप्ताहिक भागवत कथा की पूर्णाहुति की गई। दोनों ही कार्यक्रम में काफी संख्या में लोग मौजूद थे।

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असल में, दो साल बाद गुरु-शिष्य की परंपरा के निर्वहन का अवसर मिलने के कारण उम्मीद से भी अधिक मठ-मंदिरों में धर्मानुरागियों की भीड़ जुटी हुई थी। श्रद्धालुओं ने सबसे पहले गंगा में स्नान किया फिर मठ-मंदिर में जाकर गुरु-शिष्य के आत्मीय सम्बन्धों को सचेत करने की प्रक्रिया का निर्वहन लोगों पूरा किया। बता दें कि हिदू धर्म में आध्यात्मिक रूप से गुरु पूजन को सन्मार्ग एवं सत-मार्ग पर ले जाने वाले महापुरुषों के पूजन का पर्व माना गया है। जो साल के बारह महीनों में आषाढ़ की समाप्ति और श्रावण के आरंभ की संधि तिथि में मनाने की परंपरा रही है। इसी परंपरा का निर्वहन आज विभिन्न मठों में लोगों ने पूरे मनोयोग से किया। इस दौरान स्टेशन रोड स्थित लक्ष्मी-नारायण मंदिर में दर्शनार्थ को पहुंचे शिष्यों को महंत अच्युत प्रपन्नाचार्य महाराज ने उन्हें आशीर्वचन दे प्रसाद का वितरण किए।

त्रिदंडी स्वामी समाधि स्थल पर वैदिक रीति से हुई पूजा

इस दौरान चरित्रवन स्थित समाधि स्थल पर त्रिदंडी स्वामी महाराज की पूजा वैदिक मंत्रोच्चार द्वारा विधिवत तरीके से की गई। उक्त आयोजन महंत अयोध्यानाथ स्वामी महाराज के सानिध्य में सम्पन्न किया गया। हालांकि, गुरु दर्शन को शिष्यों के आने का क्रम पूजन कार्य से पूर्व से ही जारी था। समाधि स्थल के प्रांगण में भीड़ एकत्रित न हो इसका भी ध्यान रखा जा रहा था। अर्जुनपुर के अनिल राय व हरिद्वार प्रसाद ने बताया की गंगा स्नान के पश्चात काफी संख्या में श्रद्धालु पूज्य श्रीलक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी महाराज के दर्शन-पूजन हेतु बक्सर से चार्तुमास यज्ञ स्थल जनेश्वर मिश्र गंगा सेतु के निकट पहुंचे हुए हैं। धर्मावलंबियों का कहना था कि गुरु उस चमकते चंद्र के समान हैं जो लोगों के जीवन के अंधियारे में रोशनी देकर पथ-प्रदर्शन करते हैं, योग्य महापुरुष के संसर्ग से दुर्गुण नष्ट हो जाते हैं और अच्छे गुणों का उदय होता है।


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