अभी वरीय वेतनमान का लाभ, बाद में स्वीकृति लेगा विभाग
जिले में शिक्षा विभाग के अंदाज निराले हैं। यहां पहले रिजल्ट देने और बाद में उसकी परीक्षा लेने जैसी कहानी को चरितार्थ किया जा रहा है। मामला मैट्रिक प्रशिक्षित शिक्षकों के वरीय वेतनमान से संबंधित है। वरीय वेतनमान को लेकर विभाग ने न तो प्रोन्नति समिति की बैठक बुलाई और न ही नियमों का पालन किया अपितु आपदा की तर्ज पर 72 घंटे में आदेश निर्गत करने से लेकर वेतन निर्धारण तक की कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचा दिया।
बक्सर : जिले में शिक्षा विभाग के अंदाज निराले हैं। यहां पहले रिजल्ट देने और बाद में उसकी परीक्षा लेने जैसी कहानी को चरितार्थ किया जा रहा है। मामला मैट्रिक प्रशिक्षित शिक्षकों के वरीय वेतनमान से संबंधित है। वरीय वेतनमान को लेकर विभाग ने न तो प्रोन्नति समिति की बैठक बुलाई और न ही नियमों का पालन किया अपितु, आपदा की तर्ज पर 72 घंटे में आदेश निर्गत करने से लेकर वेतन निर्धारण तक की कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचा दिया।
इस संबंध में जब जिला शिक्षा पदाधिकारी विजय कुमार झा से संपर्क किया गया तो पहले तो उन्होंने इसकी समीक्षा करने की बात कही लेकिन बाद में कहा कि वह प्रोन्नति समिति से इसकी घटनोत्तर स्वीकृति ले लेंगे। जबकि, विभागीय जानकारों का कहना है कि ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है कि पहले वेतनमान निर्धारण कर लिया जाए और बाद में उसकी स्वीकृति ली जाए। और सबसे बड़ी बात कि अगर उस समय प्रोन्नति समिति ने नियमों की अनदेखी कर की अपनाई गई इस प्रक्रिया को मानने से इनकार कर दिया तो क्या डीईओ शिक्षकों से राशि की वापसी करेंगे। बताया जाता है कि प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने इससे संबंधित एक शुद्धि पत्र 3 सितंबर को निर्गत किया, जिसमें बिना टूट के लगातार शब्द को विलोपित कर दिया गया लेकिन निदेशक के इस पत्र के आलोक में शिक्षकों से विवरण की मांग नहीं की गई और कोई पत्र भी उक्त आदेश के आलोक में नहीं निकाला गया। उससे भी बड़ी बात यह है कि जिला में इस आदेश से प्रभावित होने वाले कुल कितने शिक्षक हैं? क्या सभी शिक्षकों से आवेदन प्राप्त है? क्या सभी शिक्षकों की एक समेकित सूची तैयार की गई? यदि नहीं तो क्यों, बीपीएससी 2000 बैच एक भी शिक्षक को इसका लाभ क्यों नही दिया गया? क्या विभाग के इस आदेश से केवल 90 शिक्षक ही प्रभावित हो सकते हैं? यदि नहीं, तो फिर समस्त शिक्षकों की एक सूची क्यों नही बनाई गई? जैसे सवालों के घेरे में विभाग आ रहा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि संबंधित लिपिक और स्थापना के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने संचिका जिला शिक्षा पदाधिकारी के समक्ष किस स्थिति मे उपस्थापित की। और तो और जिला शिक्षा पदाधिकारी जो प्रोन्नति समिति के अध्यक्ष भी हैं, यह जानते हुए भी कि सामान्य प्रशासन विभाग ने 11 अप्रैल 2019 के द्वारा जिला प्रोन्नति समिति की बैठक पर पूरे प्रदेश में रोक लगा दी है, वरीय वेतनमान का आदेश कैसे निर्गत कर दिया। अब जिला शिक्षा पदाधिकारी का यह कहना कि घटनोत्तर स्वीकृति ली जाएगी, इसको और पेचीदा बना रहा है।