मानसून दगाबाज और नहरें बेपानी.. कैसे होगी किसानी
चौसा समेत जिले के चारों प्रखण्ड धान का कटोरा कहा जाता है। इन क्षेत्रों में धान की उपज बेहतर ढंग से की जाती है। जबकि, इन दिनों खरीफ की बोवाई खासतौर पर धान की रोपनी का पीक आवर चल रहा है।
बक्सर । चौसा समेत जिले के चारों प्रखण्ड धान का कटोरा कहा जाता है। इन क्षेत्रों में धान की उपज बेहतर ढंग से की जाती है। जबकि, इन दिनों खरीफ की बोवाई खासतौर पर धान की रोपनी का पीक आवर चल रहा है। लेकिन, पानी से भरे रहनेवाले समय में खेतों में धूल उड़ रहे हैं। मानों किसानों से इंद्र देवता खफा हो गए हों। वहीं, नहरें भी बेपानी हैं। ऐसे में किसानों को खेती करना भारी पड़ रहा है। मानसून की बेरुखी से किसानों के माथे पर बल पड़ गए हैं। सवाल यह है कि धान का कटोरा कहे जाने वाले क्षेत्र में धान की उपज कैसे की जाएगी?
इधर, चौसा में स्थापित गंगा पम्प कैनाल का निर्माण इसलिए किया गया था कि मानसून की बेरुखी पर किसानों को खेती के समय पानी की जरूरत पूरी हो सके। लेकिन, अभी पम्प हाउस के निर्माणाधीन होने से उनकी आस पर पानी फिर रहा है। विगत वर्ष किसानों को आश्वासन दिया गया था कि अगले खरीफ में पम्प हाउस पानी उगलने लगेगा। लेकिन, आज खेती का पीक ऑवर चल रहा है। लेकिन, पम्प हाउस से पानी आने का अता-पता नहीं है। अधिकारी भी जवाब नहीं दे पा रहे हैं। पम्प हाउस से पानी उगलने का विभाग का दावा फेल खेतों की प्यास बुझाने को चौसा गंगा पम्प कैनाल पर चार वर्षो से पम्प हाउस का निर्माण कराया जा रहा है। हालांकि, निर्माण की अवधि पूरा होने के एक साल बाद पम्प हाउस का निर्माण पूरा नहीं किया जा सका। विगत वर्ष किसानों को धैर्य बनाए रखने को विभागीय अधिकारियों द्वारा आश्वासन दिया गया था कि अगले खरीफ में पम्प हाउस से पानी दिया जाएगा। लेकिन, उनका दिया वायदा फेल होते दिख रहा है। आज किसानों को पानी की जरुरत है। लेकिन, पम्प हाउस से पानी की पूर्ति पर अधिकारी भी जवाब देने से कतरा रहे हैं। हालांकि, पम्प हाउस का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चूका है। अब मामूली कार्य बाकी हैं। जबकि, एजेंसी का कार्य युद्धस्तर पर जारी है। इस बाबत पूछने पर अधिकारी सही जवाब नहीं दे पा रहे हैं। आखिर कब किसानों के लिए पानी की जरूरत को पूरा किया जाएगा। पम्प हाउस पर कार्यरत एक अधिकारी ने बताया की निर्माण कार्य तेजी से जारी है। फिर भी पानी देने में 15 अगस्त तक समय लग जाएगा। धान रोपाई का अंतिम समय 15 अगस्त कृषि की कहावत है कि का वर्षा जब कृषि सूखाने, जब फसल बोने का समय ही खत्म हो जाएगा। तब पम्प हाउस से पानी उगलने का क्या फायदा? किसान या कृषि विभाग के अनुसार धान की रोपनी का समय 1 जुलाई से प्रारम्भ होकर अंतिम 15 अगस्त तक किया जाता है। जबकि, किसानों द्वारा किसी तरह बिचड़ा तैयार किया गया है। अब पानी की आस लगी है कि धान की रोपनी की जाए। इधर, इन्द्र भगवान किसानों से रुठे हैं। पम्प हाउस भी पानी नहीं उगल रहा। सोन का भी हाल वहीं चल रहा है। ऐसे में क्षेत्र के किसानों को सूखे की मार झेलनी पड़ेगी। चौसा के किसान सह कांग्रेस प्रखण्ड अध्यक्ष राजा रमन पाण्डेय ने कहा मानसून धोखा दे रहा है। दोनों नहरें सूखी पड़ी हैं।