गृह भेदन और चोरी के निष्पादन में जिला पुलिस फिसड्डी
जिले में आए दिन बढ़ रही चोरी की वारदातों के प्रति पुलिस संवेदनशील नहीं है। ऐसे मामलों में पुलिस प्राय टाल मटोल की नीति अपनाते हुए फाइल बंद कर देती है। इस मामले में पुलिस विभाग से जारी आंकड़े इसका खुलासा कर रहे हैं।
बक्सर । जिले में आए दिन बढ़ रही चोरी की वारदातों के प्रति पुलिस संवेदनशील नहीं है। ऐसे मामलों में पुलिस प्राय: टाल मटोल की नीति अपनाते हुए फाइल बंद कर देती है। इस मामले में पुलिस विभाग से जारी आंकड़े इसका खुलासा कर रहे हैं। जिसके अनुसार चोरी और गृहभेदन जैसे मामलों में पुलिस पूरी तरह फिसड्डी साबित हुई है। जबकि चोरी की घटनाओं में लगातार हर साल इजाफा होता जा रहा है।
चोरी के मामले थाने में सबसे ज्यादा दर्ज होते हैं। इसके लिए शायद ही कोई ऐसी क्राइम मीटिग होगी जिसमें एसपी द्वारा अपने मातहतों को रात्रि गश्ती बढ़ाने पर जोर नहीं दिया गया हो। बावजूद इसके निर्देशों को ताक पर रखकर पुलिस अपने ढंग से ही काम करती रहती है। पुलिस विभाग में दर्ज आंकड़े इस बात का खुलासा कर रहे हैं। जिसके अनुसार वर्ष 2017 में जिले में गृह भेदन के 132 मामले दर्ज कराए गए थे। जिनमें महज दस मामलों का भंड़ाफोड़ किया जा सका। वहीं चोरी के 259 मामलों में महज 35 को मुकाम तक पहुंचाया जा सका। जबकि वर्ष 2018 में गृह भेदन के दर्ज कुल 108 मामलों में मात्र 13 तथा चोरी के 252 मामलों में 31 का उछ्वेदन संभव हो सका। शेष सभी कांड थानों की फाइलों में दबे धूल चाट रहे हैं। जबकि, पुलिस अधीक्षक द्वारा अपने मातहतों को बराबर कांडों के निष्पादन में तेजी लाने का निर्देश दिया जाता है। इसकी बानगी पिछले कुछ दिनों के अंदर जिले में घटी चोरी की बड़ी घटनाओं से मिल जाता है। अभी कुछ ही दिनों पहले जिला मुख्यालय के सिविल लाइन्स निवासी सरकारी अधिवक्ता प्रभुनाथ सिंह के घर में भीषण चोरी की घटना हुई थी। शुरूआती दौर में इसपर कुछ तेजी से काम जरूर हुआ। पर, कालांतर में काम के लगातार बढ़ते बोझ के बीच यह घटना भी पुलिस के लिए आई-गई हो गई। इसके पूर्व भी जिले के विभिन्न थानाक्षेत्रों में चोरी की कई बड़ी घटनाएं हुई हैं। जिनका पुलिस भंड़ाफोड़ करने में अब तक नाकाम रही है। जबकि इसके बाद भी चोरी की कई बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं। जिनमें पुलिस कोई मुकाम नहीं हासिल कर सकी। सवाल गंभीर है कि आखिर वो कौन से कारण हैं जिससे चोरी की घटनाओं के उछ्वेदन में पुलिस को सफलता नहीं मिल रही है। जबकि मौजूदा समय पुलिस को अनेक प्रकार के आधुनिक संसाधनों से लैस कर दिया गया है। किसी भी घटना के भंड़ाफोड़ के लिए पुलिस के पास कई आधुनिकतम उपकरण अनुसंधान के नए नए तरीके विकसित किए जा चुके हैं। इसके बावजूद पुलिस मामलों में खुलासा नहीं कर पा रही है।