परिवार संग अबदुल्ला ने दिया सूर्य को अर्घ्य
पुराने शाहाबाद का डुमरांव नगर गंगा-यमुनी संस्कृति की अनूठी मिसाल है। इस नगर में गंगा-यमुनी संस्कृति के कई मिसाल हैं। इसी कड़ी में नगर के टीचर ट्रे¨नग स्कूल के पास मौजूद सार्वजनिक तालाब पर अब्दुल्ला ने परिवार संग भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना कर पुरातन संस्कृति की मिसाल पेश की।
बक्सर । पुराने शाहाबाद का डुमरांव नगर गंगा-यमुनी संस्कृति की अनूठी मिसाल है। इस नगर में गंगा-यमुनी संस्कृति के कई मिसाल हैं। इसी कड़ी में नगर के टीचर ट्रे¨नग स्कूल के पास मौजूद सार्वजनिक तालाब पर अब्दुल्ला ने परिवार संग भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना कर पुरातन संस्कृति की मिसाल पेश की। भोजपुर जिला के करहथ गांव निवासी अब्दुल्ला लगातार गत आठ साल से अपने ननिहाल डुमरांव पहुंचकर भगवान भाष्कर की पूजा अर्चना करते हैं। उदीयमान भगवान सूर्य को अब्दुल्ला अपनी पत्नी सहजादी, माता आयशा एवं पिता रफीक के साथ अर्घ्य देने के समय श्रद्धालुओं व दर्शकों की निगाहें निहारती रह गई। बकौल, अब्दुल्ला मेरी मां ने किसी वजह छठ पूजा करने को लेकर भखौटी रखा था। एक बार मां द्वारा छठ पूजा करने के बाद परम्परागत तौर पर खुद के द्वारा छठ करना शुरू कर दी। आगे अब्दुल्ला कहते हैं कि छठ पूजा करने के बाद काफी सुकून मिलता है। इसके कई लाभ भी प्राप्त हुए हैं।